आईएमएफ का मिशन इस समय पाकिस्तान में है और सरकार के साथ नौवीं समीक्षा बातचीत कर रहा है जो 9 फरवरी तक अभी चलेगी। इस बातचीत के दूसरे दिन आईएमएफ ने शहबाज सरकार के कर्ज मैनेजमेंट प्लान को ‘अव्यवहारिक’ करार दिया। उसने कहा कि यह प्लान कुछ गलत धारणाओं पर आधारित है। अब शहबाज सरकार को अपनी नीतियों में अब बदलाव करना होगा ताकि बिजली सेक्टर में हो रही हानि को रोका जा सके। आईएमएफ और पाकिस्तान का वित्त मंत्रालय राजकोषीय घाटे को कम करने पर काम करेंगे।
पाकिस्तान की चालबाजी पर आईएमएफ सख्त
पाकिस्तान का सर्कुलर डेब्ट 952 अरब रुपये की भारी भरकम राशि तक पहुंच गया है। शहबाज सरकार ने अब आईएमएफ को कर्ज के मैनेजमेंट के लिए नया प्लान दिया है। इसमें कहा गया है कि बिजली का बिल 7 रुपये प्रति यूनिट बढ़ाने के बाद भी साल 2023 की शुरुआती दो तिमाई में 675 अरब रुपये की सब्सिडी की जरूरत होगी। आईएमएफ ने इसका कड़ा विरोध किया है और शहबाज सरकार से कहा कि वह बिजली के दाम में 11 से लेकर 12.50 पैसे प्रति यूनिट की दर से बढ़ाए।
आईएमएफ ने कहा कि इससे सरकार के अतिरिक्त सब्सिडी को आधा करने में सफलता मिल जाएगी जो अभी 675 अरब रुपये है। यही नहीं आईएमएफ ने वर्तमान वित्तीय वर्ष में 675 अरब रुपये के सब्सिडी के आंकड़े की गणना पर भी सवाल उठाया। उसने कहा कि शहबाज सरकार ने एक्सचेंज रेट को गणना करते समय नजरअंदाज किया। आईएमएफ के इस डंडे के बाद अब शहबाज सरकार को अपनी चालबाजी को छोड़कर बिजली के ज्यादा दाम बढ़ाने ही होंगे। शहबाज सरकार की कोशिश है कि वह किसी तरह से बिजली के कम दाम बढ़ाए ताकि चुनाव में उसे जनता का विरोध न झेलना पड़े। आईएमएफ ने शहबाज सरकार को विपक्षी इमरान खान से भी बातचीत के लिए भी कहा है।