रूस के खिलाफ क्यों हुआ आर्मीनिया
प्रधानमंत्री पशिनयान आर्मीनिया और अलगावादी क्षेत्र नागोर्नो-काराबाख इलाके को जोड़ने वाले गलियारे में मुक्त आवाजाही सुनिश्चित करने में असफलता को लेकर लगातार रूसी शांतिरक्षकों की आलोचना कर रहे है। इस गलियारे को अजरबैजान के सैनिकों ने करीब एक महीने से बंद किया हुआ है। ऐसे में आर्मीनिया का संपर्क नागोर्नो-काराबाख से लगभग टूट गया है। इस इलाके पर आर्मीनिया और अजरबैजान दोनों अपना हक जमाते हैं। 2020 में नागोर्नो-काराबाख को लेकर आर्मीनिया और अजरबैजान के बीच 3 महीने तक भीषण युद्ध भी हुआ था। बाद में रूसी शांति सैनिकों की तैनाती के बाद इस युद्ध को खत्म किया जा सका था।
आर्मीनियाई पीएम ने क्या कारण बताया
पशियान ने मंगलवार को कहा कि आर्मीनिया का मानना है कि रूसी प्रभुत्व वाले सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन (सीएसटीओ)द्वारा इस साल तैयार सैन्यभ्यास की योजना मौजूदा परिस्थितियों में अनुचित है। उन्होंने कहा कि कम से कम इस साल यह सैन्याभ्यास नहीं हो सकता। इसके पहले किर्गिस्तान ने अक्टूबर 2022 में सीएसटीओ के अंतर्गत होने वाले युद्ध अभ्यास को भी रद्द कर दिया था। इंडस्ट्रक्टिबल ब्रदरहुड-2022 नाम के इस युद्दाभ्यास में पूर्व सोवियत देश हिस्सा लेने वाले थे। किर्गिस्तान का भी रूस के साथ मजबूत संबंध हैं।
अमेरिका के करीब जा रहा आर्मीनिया
आर्मीनिया रूस को छोड़ अमेरिका की ओर जाता दिखाई दे रहा है। पिछले साल तत्कालीन अमेरिकी सीनेट स्पीकर नैन्सी पेलोसी ने आर्मीनिया का दौरा किया था। पेलोसी आर्मीनिया के 1991 में स्वतंत्र होने के बाद दौरा करने वाली सबसे बड़ी अमेरिकी नेता थीं। अपनी यात्रा के दौरान पेलोसी ने आर्मीनियाई प्रधानमंत्री पशियान से भी मुलाकात की थी। इस दौरान दोनों नेताओं केे बीच आपसी संबंधों को मजबूत बनाने पर चर्चा हुई थी। तब पेलोसी ने आर्मीनिया पर अजरबैजान के हमले की निंदा भी की थी। उसी समय आर्मीनिया की रूस से बढ़ती दूरी की भविष्यवाणी कर दी गई थी।
(एजेंसी से इनपुट के साथ)