Hitler Treasure WWII : हीरे, जवहरात, घड़ियां… क्या आप खोज सकते हैं हिटलर का खजाना? नाजी सैनिकों ने लूटी थी बैंक, नक्शा जारी – hitler treasure of world war ii nazi loot secret map first time publicly revealed in netherlands

एम्सटर्डम : नाजी खजाने का एक नक्शा 78 साल बाद लोगों के सामने आया है। यह नक्शा द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान एक लूट की खुफिया लोकेशन का खुलासा कर सकता है। अटकलें हैं कि यह नक्शा उस जगह तक पहुंचा सकता है जहां करोड़ों पाउंड का नाजी खजाना दफन है जिसे हिटलर के सैनिकों ने लूटा था। नक्शा उन सैकड़ों खुफिया दस्तावेजों में से एक है जिन्हें पहली बार जनता के सामने रखा गया है। ये कागजात नीदरलैंड में जारी किए गए हैं। द सन की खबर के अनुसार माना जाता है कि अर्न्हेम शहर में हिटलर के सैनिकों ने एक बैंक से घड़ियां, हीरे, आभूषण और दूसरी कीमती चीजें चुरा ली थीं।

एनएल टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह नक्शा गेल्डरलैंड के बेटुवे इलाके में उस सटीक जगह को दिखाता है जहां नाजी लूट छिपी हो सकती है। नक्शे से पता चलता है कि खजाना ओमेरेन और लिंडेन के डच गांवों के बीच कहीं दबा हुआ है। नेशनल अर्काइव्स के एनेट वाल्केन्स ने एक डच ब्रॉडकास्टर को बताया, ‘अर्न्हेम की सुरक्षा के दौरान, रॉटरडैम्श बैंक की एक शाखा में एक विस्फोट हुआ था। जर्मन सैनिकों ने लूटी गई चीजों को अपने कोट में भरा था।’

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कोई नहीं ढूंढ़ पाया हिटलर का खजाना

कहा जाता है कि लूट को गोला-बारूद के बक्सों में छिपाया गया था, जिन्हें बाद में ओमेरेन में दफना दिया गया। खजाने को खोजने के कई प्रयास किए गए लेकिन कथित तौर पर उसे कभी ढूंढ़ा नहीं जा सका। कहते हैं कि नीदरलैंड इसकी तलाश के लिए एक नाजी अधिकारी को देश में वापस लाया लेकिन यह प्रयास भी सफल नहीं हुआ। हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि चोरी किए गए आभूषण खजाने की तलाश करने वालों को पहले ही मिल गए होंगे लेकिन उन्होंने इसकी घोषणा नहीं की।

दस्तावेजों में शामिल दर्दनाक कहानियां

हेग में नेशनल अर्काइव्स की ओर से पहली बार सार्वजनिक रूप से जारी की गईं 1000 से अधिक चीजों में नाजी खजाने का नक्शा और अन्य दस्तावेज शामिल हैं। दस्तावेजों में द्वितीय विश्व युद्ध, यातना शिविरों में दुर्व्यवहार और कैबिनेट मंत्रियों की बैठकों के बारे में जानकारी शामिल है। नेशनल अर्काइव्स ने कहा, ‘इस संग्रह में ‘डच लोगों’ के समूह के खिलाफ यातना, अपमान और बदले की दर्दनाक कहानियां हैं।’

Sunil Kumar Dhangadamajhi

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