कैसे बना टीटीपी
सालेह ने एक के बाद एक ट्वीट की हैं जिनमें उन्होंने पाकिस्तान की मंशा पर सवाल उठाए हैं। सालेह ने अपनी ट्वीट में लिखा है कि अमेरिका पर जब 9/11 हुआ तो कबायली मुखिया जिन्हें मालिक के तौर पर जाना जाता था, उन्होंने फाटा में अमेरिका के साथ हाथ मिलाया। था। उनके अमेरिका के साथ जाने के बाद एक खाली जगह बन गई और फिर पाकिस्तान की इंटेलीजेंस एजेंसी ने टीटीपी को तैयार किया। अमेरिका को यह नहीं बताया गया कि पाकिस्तान आर्मी अफगान तालिबान, हक्कानी और अल कायदा की मदद कर रही है। अमरुल्ला के मुताबिक टीटीपी, अफगानिस्तान तालिबान के कवर के तौर पर प्रयोग की गई। इतना ही नहीं इस आतंकी संगठन से लड़ने के नाम पर पाकिस्तान ने सीआईए और पेंटागन से बड़ी आर्थिक मदद हासिल की।
पाकिस्तान ने बोला झूठ!
इन एजेंसियों को यह बताया गया कि फाटा में एक आतंकवाद-विरोधी ऑपरेशन चलाया जाना है। सालेह की मानें तो टीटीपी के नाम पर पाकिस्तान ने एक जाल बिछाया है। सालेह ने कहा है कि टीटीपी और रावलपिंडी ने हाथ मिलाया हुआ है और खैबर पख्तूनख्वां में इनकी नीतियों को ही आगे बढ़ाया जा रहा है। उन्होंने इस क्षेत्र से गायब हुए उन नेताओं का भी जिक्र किया जो पाकिस्तानी मिलिट्री के अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठा रहे थे।
पाकिस्तान आर्मी पर हमले!
दूसरी ओर इस्लामाबाद स्थित एक रिसर्च संगठन पाकिस्तान इंस्टीट्यूट फॉर पीस स्टडीज (PIPS) की तरफ से कहा गया है कि टीटीपी की तरफ से होने वाले आतंकी हमलों में तेजी आई है। जनवरी से लेकर नवंबर 2022 तक संगठन ने 150 हमलों को अंजाम दे दिया था। इनमें 150 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। ये हमले पाकिस्तान की आर्मी को निशाना बनाकर किए गए थे। वहीं आंकड़ों से साफ है कि सेना और आतंकी संगठनों के बीच दुश्मनी बढ़ती जा रही है। इस स्थिति के बाद पाकिस्तान को सुरक्षा के लिए अमेरिका की तरफ से मिलने वाली रकम में भी इजाफा हुआ है।
पाकिस्तान का असली खेल
साल 2018 में पाकिस्तान को अमेरिका से 424 मिलियन डॉलर की मदद मिली थी। इसमें से 100 फीसदी रकम असैन्य प्रयोग के लिए थी। जबकि साल 2019 में यह आंकड़ा बढ़कर 685 मिलियन डॉलर पर पहुंच गया। इसमें से 54 फीसदी सैन्य प्रयोग के लिए था। जबकि साल 2020 में इसमें गिरावट दर्ज हुई और सिर्फ 197 मिलियन डॉलर ही पाकिस्तान को मिले। इसमें से 19 फीसदी रकम का प्रयोग मिलिट्री मकसद के लिए किया गया था। 2021 में यह मदद 161 मिलियन डॉलर पर थी जबकि सेना की मदद के लिए एक भी डॉलर नहीं मिला। साल 2022 में अमेरिका ने पाकिस्तान को 147 मिलियन डॉलर दिए हैं। ये सारी रकम असैन्य मकसद के लिए है।
शर्त ने बिगाड़ा गेम प्लान
अगर रिपोर्ट्स की मानें तो इस साल यानी साल 2023 में पाकिस्तान को अमेरिका से मिलने वाली विदेशी और सैन्य मदद में इजाफा होने वाला है। साल 2010 में पाकिस्तान को 2.68 अरब डॉलर की रकम मिली थी। 22 दिसंबर 2022 को अमेरिकी सीनेट की तरफ से साल 2023 के बजट के लिए जब रकम तय की जा रही थी तो कहा गया कि सिर्फ तभी मदद मिलेगी जब पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को आगे बढ़ाएगा। कहीं न कहीं इस शर्त के बाद सालेह की बात सच साबित होती नजर आ रही है।