कैसी हो भारत की रॉकेट फोर्स
सुरक्षा विशेषज्ञों की मानें तो भारत की रॉकेट फोर्स के बारे में कई बार की चर्चा की जा चुकी है। उनका कहना है कि दोनों देशों के बीच लड़ाई ही सैन्य ताकत को लेकर है। ऐसे में यह बात काफी लाजिमी है कि भारत और चीन अपनी रॉकेट फोर्स को मजबूत करने की तरफ बढ़ रहे हैं। इंडियन आर्मी के पूर्व मुखिया जनरल (रिटायर्ड) मनोज नरवणे की मानें तो आने वाले समय में सैन्य संघर्ष अलग ही तरह से नजर आने वाले हैं।
कमांड और कंट्रोल पोस्ट्स जैसी सुविधाओं के साथ ही लॉजिस्टिक्स पर ध्यान दिया जाएगा। एयरफील्ड्स और कम्युनिकेशन सिस्टम के अलावा टकराव के समय सटीक हमला करने वाले हथियारों की तैनाती पर भी जोर दिया जाएगा। इसके अलावा ड्रोन, एयर डिफेंस सिस्टम को तबाह करने की क्षमता, मिसाइल बेस और टैंक फॉरमेशन भी अहम होने वाले हैं। इसके अलावा रॉकेट और तोप को भी प्राथमिकता दी जाएगी।
चीन की रॉकेट फोर्स
चीन की रॉकेट फोर्स जिसे पीएलए रॉकेट फोर्स के तौर पर भी जाना जाता है, उस पर चीनी सेना के परमाणु और पारंपरिक हथियारों की जिम्मेदारी है। चीन की इस फोर्स के पास इस समय 320 परमाणु हथियार हैं। वहीं 2300 से 2400 बैलेस्टिक मिसाइलें भी चीन की ताकत को बयां करने के लिए काफी हैं। पीएलए की रॉकेट फोर्स के बेड़े में करीब 90 इंटरकॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइलें भी शामिल हैं। इस बल में तैनात सैनिकों की संख्या करीब डेढ़ लाख है। चीन की रॉकेट फोर्स हैदान जिले में किंघाई में है। हाल ही में पीएलए ने दो नई तरह की मिसाइलों का परीक्षण किया है। उत्तर-पश्चिम चीन में इन मिसाइलों की ताकत को परखा गया है। ये मिसाइलें सैंकड़ों किलोमीटर स्थित दुश्मन को भी सेकेंड्स में तबाह कर सकती हैं।
भारत को रॉकेट फोर्स के लिए 50 से 70 हजार सैनिकों की जरूरत होगी। साथ ही तीन या चार बैलेस्टिक मिसाइल ब्रिगेड्स देश के पूर्वी और पश्चिमी मोर्चे की सुरक्षा में जरूरी होंगी। भारत को अभी रोड-मोबाइल टैक्टिकल मिसाइलों की जरूरी है। अभी उसके पास सिर्फ शौर्य और प्रहार मिसाइल ही हैं जबकि ऐसी मिसाइलों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए। रॉकेट फोर्स के लिए चीन की तरह मिसाइल के जखीरे की सख्त जरूरत है।
क्यों भारत के लिए जरूरी
भारतीय सेना आने वाले दिनों में सिर्फ एयर डिफेंस सिस्टम पर ही निर्भर नहीं रहेगा। भारत ने हाल के कुछ दिनों में अग्नि V का टेस्ट किया है। प्रलय मिसाइल को भी पिछले साल दिसंबर में सफलतापूर्वक टेस्ट किया गया है। अग्नि V वह मिसाइल है जो 5,000 किलोमीटर तक की रेंज में दुश्मन को निशाना बना सकती है यानी चीन के उत्तरी हिस्सों पर सबसे ज्यादा खतरा है। जमीन से जमीन तक हमले करने वाली ऐसी मिसाइलें जो बिना किसी संपर्क के युद्ध में दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब दे सकें, इस समय सबसे बड़ी जरूरत हैं। चीन को करारा जवाब देने के लिए भारत को रॉकेट फोर्स की सख्त जरूरत है।