टाइमिंग पर बोले विशेषज्ञ
फुदान यूनिवर्सिटी में इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज की प्रोफेसर लिन मिनवांग की मानें तो पूर्वी सेक्टर में बॉर्डर पर इस तरह की झड़प दोनों पक्षों के बीच होना हैरानी की बात नहीं है। लेकिन जो बात गौर करने वाली है वह टाइमिंग है। सर्दियों में इस तरह की झड़प या ऐसा तनाव बॉर्डर पर होना असामान्य है। पहले कभी भी ऐसा नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि ऐसा संभव है कि भारत ने इस मौसम को टकराव के लिए चुना हो ताकि वह एक निश्चिचत संदेश चीन को दे सके।
भारत ने दिया संदेश
लिन ने कहा कि रणनीतिक स्तर पर भारत दुनिया को यह संदेश देना चाहता है कि चीन के साथ उसके संबंध काफी तनावपूर्ण हैं। यह संदेश देकर वह अमेरिका के साथ अपनी स्थिति को बरकरार रखना चाहता है। साथ ही भारत संतुलित कूटनीति की रणनीति भी अपनाना चाहता है। इस रिपोर्ट में सिनगुआ यूनिवर्सिटी में रिसर्च डिपार्टमेंट के मुखिया कियान फेंग ने इस बात की तरफ ध्यान दिलाया है कि तवांग टकराव क्षेत्र में अस्थिरता पैदा कर सकता है। लेकिन कोई बड़ी झड़प होगी, इसकी आशंका कम है।
कियान फेंग, भारत-चीन मामलों के जानकार हैं और वह मानते हैं कि स्थिति को देखकर कुछ भी कहना मुश्किल है।उनके शब्दों में, ‘ जो जानकारी अभी मिल रही है उसके मुताबिक अग्रिम मोर्चे पर तैनात सैनिको ने स्थिति को तेजी से शांत कर दिया। स्थिति और भड़केगी इस बात की आशंका कम है।’
आगे क्या होगा
ग्लोबल टाइम्स की तरफ से मंगलवार तक कोई भी बयान घटना पर नहीं दिया था। ग्लोबल टाइम्स ने पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (PLA) के सुर में सुर मिलाया। उसने कहा कि चीनी सैनिक जिस समय रोजमर्रा की तरह गश्त पर थे, उसकी समय भारतीय सैनिक सीमा में घुस आए और उन्होंने सैनिकों का रास्ता रोक दिया। पीएलए की पश्चिमी थियेटर कमांड के प्रवक्ता की मानें तो पीएलए ने काफी बहादुरी से स्थिति को संभाला और एक तगड़ा संदेश दिया। चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन की तरफ से आधिकारिक बयान दिया गया था।