रियाद: सऊदी अरब पर आरोप लग रहे हैं कि उसने 14 दिनों में 12 लोगों का सिर कलम कर दिया। सऊदी अरब ने यह सब तब किया है जब पूरी दुनिया का ध्यान फीफी वर्ल्ड कप पर है। इन सभी लोगों को सऊदी में नशीले पदार्थों से जुड़े मामले में मौत की सजा सुनाई गई थी। सऊदी अरब की आलोचना इसलिए हो रही है, क्योंकि उसने साल 2021 में अहिंसक अपराधों पर मौत की सजा न देने की प्रतिज्ञा की थी। इस दौरान सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने रविवार को वर्ल्ड कप की ओपनिंग सेरेमनी में मौजूद रहे। आइए जानते हैं सऊदी में मौत की सजा से जुड़े नियम।
सऊदी में अगर मौत की सजा से जुड़े नियमों की बात करें तो यूनाइटेड नेशंस ह्यूम राइट्स ट्रीटी बॉडीज ने इसे लेकर एक रिपोर्ट जारी की थी। सबसे पहला तरीका सिर को तलवार से एक ही वार में काट कर धड़ से अलग करने का है। सऊदी अरब का कहना है कि इस तरीके में शरीर के पीछे हिस्से में गर्दन पर वार किया जाता है। यह एक दर्दरहित तरीका होता है। लेकिन रिपोर्ट के मुताबिक कई बार ऐसे मामले भी देखे गए हैं जहां जल्लाद नियमों को नहीं मानते। वह सिर को काटने के लिए कई बार वार करते हैं। इस दौरान जिस व्यक्ति के खिलाफ अपराध हुआ है वह या उसका परिवार भी मौजूद होता है।
सूली पर चढ़ाना भी नियमों में है, लेकिन ऐसे मामले नहीं देखा गया है। मौत की सजा देने के बाद जनता में डर पैदा करने के लिए शव को कुछ समय के लिए चौराहे पर लटका दिया जाता है। यह समय कितना होता है इसकी कोई सही जानकारी नहीं है। कई बार जब मौत की सजा के लिए कोई तलवारबाज उपलब्ध न हो तो गोली मारा जाता है। सऊदी में इस तरह से मौत के मामलों की बहुत कम जानकारी है। सऊदी ने कुछ समय पहले कई अनुभवी तलवारबाजों को काम पर रखा था।
सऊदी अरब में पत्थरों से मार-मार कर मौत देने की भी सजा है। यह सजा सिर्फ उन लोगों के लिए है, जिन पर व्यभिचार के आरोप हैं। इसके तहत अपराधी को घुटनों या उसकी छाती तक दफना दिया जाता है। लोग तब तक पत्थर फेंकेंगे जब तक कि अपराधी की मौत न हो जाए। हालांकि मृत्युदंड की सजा से लोगों को बचाने वाले संगठन रीप्रीव ने बताया कि उन्हें इस तरह के मामले आने के बारे में जानकारी नहीं है। इसके अलावा मौत की सजा पाने वाले व्यक्ति का शरीर उसके परिजनों को मिलता है या नहीं, इसकी जानकारी भी नहीं है। विदेशी नागरिकों से जुड़े मामलों में कई बार सऊदी अधिकारियों ने शव के प्रत्यावर्तन से इनकार किया या फिर इसमें देरी की है। राजनीतिक प्रदर्शन से जुड़े मामलों में सऊदी सरकार दफनाने की जगह भी नहीं बताती है।