बीजिंग: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने साफ कर दिया है कि देश की सुरक्षा अस्थिर होती जा रही है और बहुत ही अनिश्चित है। ऐसे में चीन का एकमात्र लक्ष्य खुद को युद्ध है और खुद को इसके लिये तैयार करना है। सीसीटीवी ने जिनपिंग के हवाले से कहा है कि चीन अब अपनी मिलिट्री का विस्तार करने में लगा है। जिनपिंग ने कहा है कि मिलिट्री ट्रेनिंग को मजबूत किया जायेगा ताकि देश किसी भी युद्ध के लिये तैयार रहे। जिनपिंग ने पिछले ही महीने मिलिट्री के तुरंत विकास की बात कही थी। इसके बाद ही उन्होंने अब यह चेतावनी दी है। जिनपिंग ने कहा था कि मिलिट्री को तकनीकी तौर पर आत्मनिर्भर बने। साथ ही इतनी समर्थ हो कि विदेशों में चीन के हितों की रक्षा कर सके।
जिनपिंग के युद्ध के लिये तैयार रहने वाले ऐलान ने चिंताएं बढ़ा दी हैं। उनके इस बयान से आशंका जताई जा रही है कि चीन, ताइवान पर हमला कर सकता है जिस पर वह अपना दावा करता है। दुनिया की दूसरे नंबर की आर्थिक महाशक्ति और सबसे बड़ी सेना वाला चीन बार-बार ताइवान को जबरन अपनी सीमा में मिलाने की धमकी देता है। पिछले ही महीने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने अपने संविधान में ताइवान की आजादी और ‘एक देश, दो प्रणालियों’ की नीति को दृढ़ता से लागू करने का विरोध किया है। विशेषज्ञों ने इस वह फॉर्मूला बताया था जिसके बाद चीन आने वाले समय में ताइवान पर राज कर सकता है।
अगर चीन, ताइवान पर हमला कर देता है तो निश्चित तौर पर इस संघर्ष में अमेरिका भी शामिल होगा। अमेरिका हमेशा इस बात को कहता आया है कि वह ताइवान की रक्षा करने के लिये हमेशा आगे आयेगा। साथ ही उसकी तरफ से ताइवान को उसकी रक्षा के लिए हथियार भी मुहैया कराये जा रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस संघर्ष को कानूनी तौर पर निबटना होगा। इस खतरे को गंभीर चिंता के तौर पर देखा जा रहा है।
जापान, ताइवान के सबसे करीब है और अमेरिका का सबसे बड़ा साझीदार भी है। अमेरिका की तरफ से चीन की तरफ से मौजूद खतरे के मद्देनजर पहले ही इस बात का ऐलान कर दिया गया था कि वह परमाणु क्षमता से लैस बॉम्बर्स को ऑस्ट्रेलिया में तैनात कर देगा। अगर यह युद्ध होता है तो फिर यह आधुनिक इतिहास की सबसे खराब जंग होगी।
अगस्त में जब अमेरिकी कांग्रेस की स्पीकर नैंसी पेलोसी ताइवान गई थीं तो उसके बाद से ही चीन का पारा हाई है। चीन ने ताइवान की घेराबंदी के मद्देनजर सबसे बड़ी मिलिट्री ड्रिल को अंजाम दिया। पेलोसी के ताइवान दौरे को चीन ने अपने आंतरिक मामलों में अमेरिका का हस्तक्षेप की कोशिश माना था। चीन की तरफ से ताइवान जलडमरूमध्यजल के चारों तरफ जहाज और प्लेन भेजे गये थे। यह दोनों देशों के बीच एक बफर जोन है। कुछ लोगों ने इसे एक तरह की नाकाबंदी माना था जिसके बाद हमले की आशंका काफी बढ़ गई थी।
चीन ने इसके अलावा ताइवान के चारों तरफ टेस्टिंग जोन्स भी डिक्लेयर कर दिये थे। यह वह हिस्सा है जहां से दुनिया भर के जहाज गुजरते हैं। इसके साथ ही ताइवान की तरफ चार मिसाइलें भी फायर की गई थीं जिसमें से कुछ मिसाइलें जापान के एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन में जाकर गिरी थीं। पिछले महीने ही अमेरिका के नेवल ऑपरेशंस के मुखिया एडमिरल गिलडे ने चेतावनी भी दी है कि इस साल ताइवान पर हमला करके चीन, अमेरिका और पूरी दुनिया को हैरान कर सकता है।

