वाशिंगटन : रूसी हमलों के खिलाफ अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे पश्चिमी देश खुलकर यूक्रेन की मदद कर रहे हैं। लेकिन कोई भी देश मुखर होकर रूस का समर्थन नहीं कर रहा है। हालांकि मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो रूस भी इस जंग में अकेला नहीं लड़ रहा है। अमेरिका ने बुधवार को आरोप लगाया कि उत्तर कोरिया ‘बड़ी संख्या’ में तोप के गोलों की आपूर्ति रूस को कर रहा है जिससे उसे यूक्रेन के खिलाफ जंग में मदद मिले। इससे पहले एक रिपोर्ट में कहा गया था कि ईरान रूस को 200 से अधिक ड्रोन देने की तैयारी कर रहा है जिसमें घातक Arash-2 ड्रोन भी शामिल होगा।
‘नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल’ के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा कि अमेरिका का मानना है कि उत्तर कोरिया ‘यह दिखाने की कोशिश कर रहा है कि उन्हें मध्य पूर्व या उत्तरी अफ्रीका के देशों में भेजा जा रहा है।’ उन्होंने रूसी प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए भेजे जा रहे गोला-बारूद की मात्रा पर एक विशिष्ट अनुमान देने से इनकार कर दिया। किर्बी ने कहा कि उत्तर कोरिया रूस को ‘गुप्त रूप से’ गोला-बारूद की आपूर्ति कर रहा है, लेकिन ‘हम अभी यह निर्धारित करने के लिए निगरानी कर रहे हैं कि शिपमेंट (खेप) वास्तव में प्राप्त हुई है या नहीं।’
पश्चिमी देशों के यूक्रेन की सेना को युद्ध सामग्री की पुन: आपूर्ति के प्रयासों का उल्लेख करते हुए किर्बी ने जोर देकर कहा कि उत्तर कोरिया की खेप से ‘युद्ध का रुख नहीं बदलने जा रहा है।’ अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय ‘व्हाइट हाउस’ ने यह स्पष्ट नहीं किया कि परिवहन का साधन क्या है और अमेरिका या अन्य राष्ट्र रूस को भेजी जा रही खेप में हस्तक्षेप करने का प्रयास करेंगे या नहीं।
उत्तर कोरिया के लिबरेशन डे पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने किम जोंग उन को एक पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने कहा था कि घनिष्ठ संबंध दोनों देशों के हित में होंगे और कोरियाई प्रायद्वीप और पूर्वोत्तर एशियाई क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता को मजबूत करने में सहायक होंगे। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों देशों को लगने लगा है कि उन्हें ‘एक-दूसरे की जरूरत है और एक-दूसरे को देने के लिए उनके पास कुछ है’।