Russia Attacks On Ukraine With Kamikaze Drones Shahed 136 Given By Iran

कीव : यूक्रेन और रूस की लड़ाई में ईरान का आत्मघाती ड्रोन ‘कैमिकाजी’ चर्चा में है। रूस ने यूक्रेन के शहरों पर सोमवार सुबह कैमिकाजी ड्रोन से हमला किया। हफ्ते भर में कैमिकाजी ड्रोन के जरिए यूक्रेन पर हुआ यह रूस का दूसरा हमला था। जिन ड्रोन का इस्तेमाल कुछ साल पहले तक सिर्फ शौकिया लोग करते थे, वे अब दुनियाभर में सेनाओं के प्रमुख बन चुके हैं। रूस यूक्रेन युद्ध में भी तुर्की के टीबी-2 और ईरान के Shahed श्रेणी के ड्रोन इस्तेमाल किए जा रहे हैं। ये खतरनाक मशीनें न सिर्फ मिसाइलों से सस्ती हैं बल्कि जमीन पर भारी तबाही मचाने में बेहद कारगर भी हैं। ऐसे में आइए जानते हैं यूक्रेन को बर्बाद करने वाला ‘कैमिकाजी’ ड्रोन क्या है और यह क्यों इतना खास है।

‘कैमिकाजी’ नाम आया है दूसरे विश्वयुद्ध में हमले की रणनीति से। उस दौरान जापान की सेना ने यह रणनीति अपनाई थी। उसके लड़ाकू विमानों के पायलट गोला-बारूद भरकर आत्मघाती मिशन पर निकलते थे। वे अपने विमान दुश्मन के ठिकानों पर क्रैश कर देते थे। इससे बड़ा नुकसान होता था। इसी रणनीति को कैमिकाजी नाम दिया गया था।

जापानी जंगी विमानों की तरह आजकल के कैमिकाजी ड्रोन भी विस्फोटकों के साथ टारगेट से टकराने के बाद नष्ट हो जाते हैं। खासियत यह है कि ये टारगेट ढूंढकर निशाना साधते हैं। ये टारगेट एरिया के आसपास कुछ देर तक मंडराते हैं और जब टारगेट को ढूंढ लेते हैं तो उससे टकरा जाते हैं। क्रूज मिसाइलों का सिस्टम भी इसी तरह का होता है। कैमिकाजी ड्रोन क्रूज मिसाइलों जितने तेज तो नहीं होते, लेकिन इनकी मार किसी मिसाइल की तरह ही होती है।

यूक्रेन का कहना है कि रूस इस ड्रोन अटैक में ईरान में बने Shahed-136 ड्रोन का इस्तेमाल कर रहा है। Shahed ड्रोन को ही कैमिकाजी ड्रोन कहा जा रहा है। Shahed धीमी रफ्तार और कम ऊंचाई पर उड़ने वाले ड्रोन हैं। इनका इस्तेमाल 1980 के दशक से हो रहा है। बाद के दिनों में GPS सिस्टम लगाकर इन्हें अपग्रेड किया गया। अमेरिका के मुताबिक, रूस ने अगस्त के आखिर में ईरान से 1000 ड्रोन लिए थे। यूक्रेन की एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइलों को निशाना बनाने के इरादे से ईरान से ये ड्रोन खरीदे गए।

यह अन्य के मुकाबले सस्ता ड्रोन है। इनकी लागत 20 हजार डॉलर के आसपास है। इन्हें दुश्मन की ओर झुंड में रवाना किया जा सकता है। कम ऊंचाई पर उड़ने की इनकी क्षमता इन्हें खास बना देती है। इसकी वजह से एयर डिफेंस सिस्टम के लिए इनका पता लगाना मुश्किल हो जाता है। अगर इन्हें पहचान भी लिया गया और ये टारगेट तक नहीं भी पहुंच पाए, तो भी ये काफी नुकसान पहुंचा देते हैं। इनका गोला-बारूद बिखर जाता है और इंसानों को चपेट में ले सकते हैं।

यूक्रेन के लिए मुश्किल यह है कि वह एयर डिफेंस मिसाइलों के सीमित स्टॉक को अब कहां पर सुरक्षित रखे। Shahed या कैमिकाजी ड्रोन तो सैकड़ों किलोमीटर तक उड़ते रह सकते हैं। ईरान का दावा है कि ये ड्रोन 2000 किलोमीटर तक उड़ान भर सकते हैं और घंटों टारगेट के पीछे पड़े रह सकते हैं, जब तक कि ये टारगेट पर वार न कर दें या बीच में ही इन्हें इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग से बेकार न कर दिया जाए।

Sunil Kumar Dhangadamajhi

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