कीव: यूनाइटेड नेशंस की तरफ से कहा गया है कि यूरोप के सबसे बड़े न्यूक्लियर पावर प्लांट जैपसोरिजिया की आखिरी बची हुई पावर भी अब खत्म हो गई है। लगातार हो रही गोलीबारी के बाद इस प्लांट का इकलौता बाहरी पावर सोर्स भी अब खत्म हो गया है। इसके साथ ही प्लांट पूरी तरह से बंद हो गया है। यूएन के मुताबिक यह पावर प्लांट अब इस इमरजेंसी डीजन जनरेटर्स पर चल रहा है। दक्षिणी-पूर्वी यूक्रेन में स्थित जैपसोरिजिया दुनिया का 10वां और यूरोप का सबसे बड़ा न्यूक्लियर प्लांट है। यूएन की एजेंसी अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा संस्था (IAEA) की तरफ से इस प्लांट पर लगातार नजर रखी जा रही थी। सवाल यही है कि जब प्लांट बंद हो चुका है तो फिर आखिर इसे डीजल जनरेटर्स के जरिए बिजली की सप्लाई क्यों की जा रही है।
आईएईए की तरफ से बताया गया है कि शनिवार को रात एक बजे प्लांट पूरी तरह से आउट ऑफ पावर हो गया था। एजेंसी के मुताबिक 750 किलोवॉट की पावर लाइन का आखिरी लिंक भी खत्म हो गया। एजेंसी ने यूक्रेन के अधिकारियों के अलावा अपने एक्सपर्ट्स के हवाले से यह बात कही है। इस प्लांट पर फिलहाल रूस की सेना ने कब्जा कर लिया है। प्लांट के सभी छह रिएक्टर्स पूरी तरह से बंद हैं लेकिन उन्हें बिजली की जरूरत है। इन रिएक्टर्स को ठंडा करने के लिए और दूसरे सुरक्षा कारणों से प्लांट को 24 घंटे बिजली सप्लाई की जाएगी।
प्लांट इंजीनियर्स ने युद्ध में नुकसान हुई पावर लाइन को रिपेयर करना शुरू कर दिया है। साथ ही जनरेटर्स को भी ठीक किया जा रहा है। सभी जनरेटर्स को फिलहाल काम में नहीं लाया जा रहा है। हर जनरेटर में कम से कम 10 दिनों तक ईधन है। इस प्लांट को सोवियत संघ के दौर में एनेर्होदर शहर के करीब बनवाया गया था। यह प्लांट नीपर नदी पर काखोवका तालाब के दक्षिणी तट पर है। साल 2016 के आंकड़ों के मुताबिक हर साल यह प्लांट 29,299 गीगावॉट बिजली का उत्पादन करता है। बाद में इसे बढ़ाया गया और इसके बाद आंकड़ा 38,000 गीगावॉट तक पहुंच गया।
इस प्लांट को युद्ध शुरू होने से पहले यूक्रेन की एजेंसी एनर्जोएटॉम और रूस की एजेंसी रॉसटॉम मिलकर ऑपरेट कर रही थीं। जैपसोरिजिया, उन चार क्षेत्रों में एक है जिसे पिछले दिनों रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन से अलग कर अपने देश में मिलाने का ऐलान किया है। यह प्लांट पिछले कई महीनों से रूसी सेना के नियंत्रण में है और इसी नाम से एक और शहर यूक्रेन के नियंत्रण में है।
आईएईए के डायरेक्टर जनरल राफेल ग्रॉसी ने कहा कि लगातार गोलीबारी की वजह से प्लांट का इकलौता पावर सोर्स भी खत्म कर दिया गया और यह काफी गैर-जिम्मेदाराना कृत्य है। गुरुवार को ग्रॉसी कीव में थे और वह अब रूस जाएंगे। इसके बाद वह एक बार और यूक्रेन आएंगे। उनका यह दौरा उन कोशिशों का हिस्सा है जिसके तहत प्लांट के करीब परमाणु सुरक्षा और प्रोटेक्शन जोन को सुरक्षा मुहैया कराना है। वह पिछले कई हफ्तों से प्लांट की सुरक्षा बात कहते आ रहे थे।
वहीं, बीबीसी ने यूक्रेन के सरकारी परमाणु कंपनी एनर्जोएटॉम के पेट्रो कोटिन ने कहा है कि प्लांट के डीजल जनरेटर्स भी ज्यादा दिन तक काम नहीं कर पाएंगे। उनके पास भी सीमित सीमा तक ही सप्लाई है। उन्होंने आगाह किया कि जनरेटर्स ने अगर काम करना बंद किया तो फिर तबाही आ जाएगी। कोटिन की मानें तो जनरेटर्स के बंद होने के बाद रेडियोएक्टिव कणों के लीकेज की आशंका कई गुना बढ़ जाएगी।