पेंटागन में हुआ भव्य स्वागत
बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और यूरोपीय भागीदारों के बीच गहरे सहयोग की भावना को रेखांकित किया। पेंटागन में विदेश मंत्री का स्वागत करते हुए ऑस्टिन ने हाल में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ टेलीफोन पर हुई अपनी बातचीत का हवाला देते हुए कहा कि यह बातचीत दोनों देशों के बीच बढ़ती साझेदारी और आकांक्षाओं को मजबूत करती है।
अमेरिकी रक्षा मंत्री ने जयशंकर का किया स्वागत। (Twitter/DrSJaishankar)
ऑस्टिन ने कहा, ‘‘मैं आपकी मित्रता का आभारी हूं और हम एक मुक्त एवं खुले हिंद-प्रशांत के अपने साझा दृष्टिकोण की दिशा में मिलकर काम करेंगे। इस संबंध में एक शानदार बातचीत की आशा है।’’ उन्होंने कहा कि क्षेत्र की सुरक्षा को बनाए रखना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, ‘‘हाल के महीने में हमने चीन को अंतरराष्ट्रीय अदालत को चुनौती देने का प्रयास करते, ताइवान की खाड़ी और आसपास अप्रत्याशित उकसावे वाली कार्रवाई करते देखा है।’’
हिंद-प्रशांत क्षेत्र बना चुनौतीपूर्ण
विदेश मंत्री और ऑस्टिन ने इस बात पर सहमति व्यक्त की है कि इस साल विशेषकर हिंद-प्रशांत में चुनौतियों के कारण वैश्विक चुनौतियां बढ़ गई हैं। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों विशेषकर रक्षा संबंधों में और मजबूती लाए जाने की आवश्यकता पर जोर दिया। दोनों नेताओं की यह टिप्पणी क्षेत्र में चीन के लगातार बढ़ते धौंस जमाने वाले रवैये के बीच आई है। जयशंकर ने यहां पेंटागन में सोमवार को ऑस्टिन के साथ बैठक में अपने शुरुआती संबोधन में कहा, ‘‘मैं आपको बताना चाहता हूं कि इस साल विभिन्न कारणों से विशेषकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र के कारण वैश्विक स्थिति अधिक चुनौतीपूर्ण हो गई है।’’
विदेश मंत्री ने किया ट्वीट
उन्होंने कहा, ‘‘यह महत्वपूर्ण है कि हिंद-प्रशांत की स्थिरता, सुरक्षा और समृद्धि सुनिश्चित की जाए। इसके लिए दो देशों के बीच सहयोग सबसे अच्छा उपाय है।’’ चीन विवादित दक्षिण चीन सागर में लगभग सभी हिस्से पर अपना दावा करता है, हालांकि ताइवान, फिलीपीन, ब्रुनेई, मलेशिया और वियतनाम सभी इसके कुछ हिस्सों का दावा करते हैं। चीन ने दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीप और सैन्य प्रतिष्ठान बनाए हैं। पूर्वी चीन सागर में चीन का जापान के साथ क्षेत्रीय विवाद भी है। जयशंकर ने कहा कि उनका मानना है कि रक्षा और सुरक्षा सहयोग हमारे समकालिक संबंधों का आधार है। ऑस्टिन के साथ बैठक के बाद जयशंकर ने ट्वीट किया, ‘‘रक्षा और सुरक्षा सहयोग समकालिक भारत-अमेरिका साझेदारी में मुख्य स्तंभ है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यूक्रेन संकट, हिंद-प्रशांत घटनाक्रम, समुद्री चुनौतियों और क्षेत्रीय मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया।’’