नेड प्राइस ने कहा कि हम दोनों देशों के सहयोगियों के रूप में देखते हैं क्योंकि कई मामलों में हमारे सिद्धांत एक जैसे हैं। भारत के साथ हमारा संबंध अलग है और पाकिस्तान के साथ हमारा संबंध अलग। भारत की चिंता का कारण अमेरिका का 45 करोड़ डॉलर का वह पैकेज जिसे वह पाकिस्तान को एफ-16 लड़ाकू विमान के बेड़े के रखरखाव के लिए देने जा रहा है। बाइडन प्रशासन ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले को पलटते हुए इस वित्तीय सहायता को मंजूरी दी है।
अमेरिका पाकिस्तान में बढ़ रहीं नजदीकियां?
इमरान खान के बाद पाकिस्तान में जब से शहबाज शरीफ की सरकार आई है, पाकिस्तान और अमेरिका की नजदीकियां बढ़ गई हैं। यह पैकेज उसकी तस्दीक करता है। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र में हिस्सा लेने अमेरिका पहुंचे पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की मुलाकात बाइडन से हुई थी। यह मुलाकात इसलिए भी अहम थी क्योंकि कहा जाता है कि राष्ट्रपति बनने के बाद बाइडन ने पूर्व पाक पीएम इमरान खान से मिलना तो दूर फोन पर भी कभी बात नहीं की थी।
जयशंकर ने उठाए संबंधों पर सवाल
भारतीय-अमेरिकी समुदाय की ओर से आयोजित कार्यक्रम में जयशंकर ने अमेरिका पाकिस्तान रिश्तों पर सवाल उठाते हुए कहा था कि यह एक ऐसा रिश्ता है जिससे न पाकिस्तान को लाभ हुआ और न ही अमेरिका को कुछ फायदा पहुंचा। अमेरिका को आज इस बात पर गौर करने की जरूरत है कि इस रिश्ते में क्या खास है और उसे इससे क्या हासिल हुआ। पाकिस्तान को दिए जा रहे पैकेज को लेकर अमेरिका ने तर्क दिया था कि आतंकवाद से मुकाबला करने के लिए एफ-16 के रख-रखाव के लिए पैकेज को मंजूरी दी गई है।
‘आप किसी को मूर्ख नहीं बना सकते’
जयशंकर ने अमेरिका के इस तर्क का जिक्र करते हुए कहा कि हर कोई जानता है कि एफ-16 का कहां और किसके खिलाफ इस्तेमाल किया जाता है। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘आप इस प्रकार की बातें कहकर किसी को मूर्ख नहीं बना सकते।’ इससे पहले अमेरिका के फैसले पर भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी अपने अमेरिकी समकक्ष लॉयड ऑस्टिन के समक्ष चिंता जाहिर की थी।