रणनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है सेशेल्स
सेशेल्स हिंद महासागर में रणनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण स्थान पर स्थित है। इस इलाके से वैश्विक समुद्री व्यापार का काफी बड़ा हिस्सा गुजरता है। अफ्रीका के करीब होने के कारण सेशेल्स से पश्चिम की तरफ समुद्री डाकूओं का भी खतरा ज्यादा है। ऐसे में सेशेल्स को एक प्रमुख अड्डा बनाकर यहां से मिलिट्री ऑपरेशन को भी अंजाम दिया जा सकता है। इसके अलावा सेशेल्स चीन के जिबूती मिलिट्री बेस के रास्ते में भी स्थित है। ऐसे में जिबूती से गुजरने वाले चीनी युद्धपोतों और पनडुब्बियों पर भी यहां से नजर रखी जा सकती है।
क्या होता है एक्सक्लूसिव इकॉनमिक जोन
समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCLOS) के अनुसार, एक्सक्लूसिव इकॉनमिक जोन या आर्थिक अनन्य क्षेत्र जमीनी सीमा से अलग एक समुद्री क्षेत्र है। इस इलाके में विशेष कानून लागू रहेगा। इसमें कानून लागू करने का अधिकार तटवर्ती देश को प्राप्त होगा। यह सीमा आमतौर पर 3 से 12 समुद्री मील से 200 समुद्री मील तक फैली होती है। एक समुद्री मील में 1.852 किलोमीटर होता है। ऐसे में 200 समुद्री मील का मतलब 370.4 किलोमीटर की दूरी हुई। इस क्षेत्र में मछली पकड़ने, तेल-गैस निकालने या दूसरे तरीकों से आर्थिक दोहन करने का अधिकार संबंधित देश को मिला होता है।
भारतीय नौसेना का पी8आई कितना खतरनाक
हिंद महासागर में चीनी पनडुब्बियों की गतिविधियों पर निगाह रखने के लिए भारत ने सबमरीन हंटर्स पी-8आई विमान को तैनात किया है। यह विमान एंटी-सबमरीन और एंटी-सरफेस वारफेयर को अंजाम देने में सक्षम हैं। लंबी दूरी पर समुद्री पेट्रोलिंग के कारण यह पूरे हिंद महासागर पर बारीक नजर रख सकता है। पी8आई की ऑपरेटिंग रेंज 1,200 नॉटिकल मील है। इस एयरक्राफ्ट की अधिकतम रफ्तार 907 किलोमीटर प्रति घंटा है। रडार से लैस ये एयरक्राफ्ट खुफिया और किसी भी तरह के जोखिमों से निपटने में सक्षम है। इसमें खतरनाक हार्पून ब्लॉक-II मिसाइलें, MK-54 कम वजन वाले विध्वंसक मौजूद हैं।
हमला भी कर सकता है पी8आई विमान
पी8आई विमान रॉकेट और बारूदों से भी लैस हैं। ये किसी भी गंभीर स्थिति को भांपकर दुश्मन की पनडुब्बियों और युद्धपोतों पर हमला कर सकते हैं। ये एयरक्राफ्ट अमेरिकी कंपनी बोइंग ने तैयार किए हैं। इनका पहला सौदा साल 2009 में अमेरिकी कंपनी बोइंग से 2.1 बिलियन डॉलर में किया गया था, जिसमें 8 विमान खरीदे गए। जिन्हें हाल ही में नौसेना बेड़े में शामिल किया गया। इनकी तैनाती तमिलनाडु के अराक्कोनम स्थित आईएनएस रजाली नेवल एयर स्टेशन पर की गई।
अमेरिकी नौसेना के लिए किया गया था निर्माण
इस एयरक्राफ्ट की योजना सबसे पहले अमेरिकन नेवी ने बनाई। उन्होंने अगली पीढ़ी के समुद्री निगरानी विमान बनाने की योजना के तहत जून 2004 में बोइंग को इसकी जिम्मेदारी सौंपी। मार्च 2005 में पहला पोसाइडन-8A एयरक्राफ्ट डिजाइन किया गया। इसके बाद करीब 117 पोसाइडन-8A एयरक्राफ्ट को अमेरिकन नेवी ने अपने बेड़े में शामिल किया। फरवरी 2014 में ऑस्ट्रेलियन सरकार ने पोसाइडन-8A की खरीदी की। इस सौदे में 4 बिलियन डॉलर के 4 और एयरक्रॉफ्ट का कॉन्ट्रैक्ट दिया गया।