सावधानी से
रखा गया क़दम भी
कभी फिसल जाता है ।
मुट्ठी में चंदा के होने के
अनुभव के कारण ही तो
मुन्ना चुपचाप सो जाता है ।
श्रम और कल्पना की कीमत
कोई भी नहीं समझता
इसीलिए बंद घर में
अपने मुंह पर
आप ही रंग लगाकर
नाचना पड़ता है ।
लगे हर दम कि
तितली के पंख हैं
स्वप्न सरीखे !!!
टूट जाती है
स्याही की बोतल
पानी निकालने वक्त
कुएं में ही
गिर जाती बाल्टी !
✍🏾मूल ओड़िया: प्रफुल्ल चंद्र पाढ़ी
कोलनरा, रायगडा जिला
मो_8917324525
✒️अनुवाद : ज्योति शंकर पण्डा
शरत,मयूरभंज