इस बीच नेपाली कांग्रेस के गठबंधन सहयोगी पुष्प कमल दहल प्रचंड ने भी पीएम पद के लिए अपनी दावेदारी का खुलकर ऐलान कर दिया है। अब देउबा और प्रचंड के बीच नई सरकार के गठन के लिए बातचीत चल रही है। प्रचंड ने अपनी इच्छा से देउबा को भी अवगत करा दिया है। प्रचंड ने शनिवार को देउबा से उनके आधिकारिक आवास पर मुलाकात की और पीएम पद के लिए नेपाली कांग्रेस का समर्थन मांगा। देउबा ने प्रचंड को आश्वासन दिया है कि वह इस पर विचार करेंगे और अन्य सहयोगी दलों से इस बारे में बातचीत करेंगे।
देउबा के साथ गठबंधन को तोड़ सकते हैं प्रचंड!
प्रचंड के इस दांव से देउबा को बड़ा झटका लगा है जो इस शीर्ष पद के लिए एक बार फिर से प्रमुख दावेदार हैं। चुनाव परिणाम में नेपाली कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। प्रचंड के इस कदम से यह भी साफ हो गया है कि अगर उन्हें प्रधानमंत्री नहीं बनाया गया तो वह देउबा के साथ गठबंधन को तोड़कर नया गठबंधन बना सकते हैं। इससे पहले प्रचंड को पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने साथ मिलकर ढाई-ढाई साल के लिए सरकार बनाने का न्योता दिया था। ऐसे में अब देउबा दोहरे संकट में घिर गए हैं।
नेपाली कांग्रेस ने प्रचंड की पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था और 5 दलों के गठबंधन ने 130 से ज्यादा सीटें जीती थीं। वे अब बहुमत के जादुई आंकड़े 138 से बस कुछ ही सीट दूर हैं। प्रचंड की पार्टी 32 सीटें जीतकर चौथी सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। प्रचंड अगर देउबा के साथ गठबंधन तोड़ते हैं तो वह केपी शर्मा ओली के साथ जा सकते हैं। यही नहीं चीन भी यही चाहता है कि ओली और प्रचंड फिर से साथ आ जाएं। इससे वामपंथियों की मदद से चीन अपना अजेंडा खुलकर नेपाल में चला सकेगा। यही वजह है कि भारत भी ऐक्शन में आ गया है और भारतीय राजदूत लगातार देउबा के साथ संपर्क में बने हुए हैं।