नई दिल्ली: आज 12 अगस्त को ‘विश्व हाथी दिवस’ दिवस मनाया जा रहा है। यह दिन हाथियों के प्रति जागरूकता लाने का दिन है। हाथी को मदमस्त अंदाज, शांत और गुस्सेले स्वभाव के लिए जाना जाता है। हर साल 12 अगस्त को मनाए जाने वाले ‘विश्व हाथी दिवस’ के पीछे हाथियों के संरक्षण, गैर-कानूनी शिकार और तस्करी रोकने का उद्देश्य जुड़ा है। इस दिन को हम हाथियों की रक्षा और उनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए किए जा रहे प्रयासों के लिए आम जन को जागरूक करना भी है। दरअसल, एशियाई और अफ्रीकी हाथियों की दुर्दशा को उजागर करते हुए 12 अगस्त 2012 को पहला विश्व हाथी दिवस मनाया गया था। सिम्स और थाई स्थित एलीफेंट रीइंट्रोडक्शन फाउंडेशन ने इसकी शुरुआत की थी। यह दिन हाथियों के संरक्षण और सुरक्षा के बारे में जागरूकता फैलाने पर पूरी तरह से केंद्रित है। खासतौर से अवैध शिकार, उनके रहने की जगह को पहुंचाया जा रहे नुकसान, कैद में उनके साथ दुर्व्यवहार शामिल है।
सालों से कनाडाई फिल्म निर्माता पेट्रीसिया, सिम्स के ट्रस्ट वर्ल्ड एलीफेंट सोसाइटी ने कई लोगों को शिक्षित किया है और हाथी संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता भी पैदा की है। सोसायटी 100 हाथी संरक्षण संगठनों के साथ साझेदारी में काम करती है। हाथियों के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए कई संगठनों और व्यक्तियों से एक साथ आने की भी अपील की जाती है।
वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (WWF) के हालिया आंकड़ों के अनुसार लगभग 4,40,000 हाथी बचे हैं। डब्ल्यूडब्ल्यूएफ ने यह भी खुलासा किया कि शिकारी हर साल लगभग 15,000 हाथियों का शिकार करते हैं। ऐसे में अगर उनकी सुरक्षा नहीं की गई तो आने वाले वक्त में ‘हाथी विलुप्त होने’ की कगार पर पहुंच जाएंगे, जिसको लेकर जागरूकता पैदा करना जिम्मेदारी है। इस बीच भारत में सांस्कृतिक और धार्मिक प्रतीक होने के बावजूद अशिक्षित महावतों द्वारा हाथियों के साथ बुरा बर्ताव किया जाता है। कई हाथी बिजली के झटके, ट्रेन दुर्घटनाओं, अवैध शिकार और जहर के शिकार होते हैं। वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर के अनुसार जंगली एशियाई हाथियों की संख्या 50,000 से कम हो गई है, जो कि इसके ऐतिहासिक औसत का सिर्फ 15% है। जंगली एशियाई हाथी मुख्य रूप से भारत और दक्षिण पूर्व एशिया के कुछ हिस्सों में पाए जाते हैं।