पाकिस्तान और ईरान के रिश्ते बेहद तल्ख हो गये हैं. दोनों देशों के बीच युद्ध की नौबत है. एक दूसरे की जमीन पर आतंकियों के नाम पर हमले के बाद दोनों के संबंध सबसे खराब दौर से गुजर रहे हैं. यहां तक की एक दूसरे के राजदूत को भी दोनों देशों से वापस बुला लिया है.हालत ये हैं कि दोनों देशों की सेनाएं बॉर्डर पर जाने को तैयार हैं. रॉकेट और मिसाइल एक-दूसरे की तरफ तने हुए हैं. हालांकि इस बीच खबर है कि जल्द ही दोनों देशों के बीच वार्ता हो सकती है. दरअसल, पाकिस्तान और ईरान के एक-दूसरे की भूमि पर कथित आतंकवादियों के खिलाफ मिसाइल हमलों के बाद रिश्तों में पैदा हुए तनाव को कम करने के लिए दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच टेलीफोन पर बातचीत हो सकती है.
ईरान-पाकिस्तान ने एक दूसरे पर किया हमला
गौरतलब है कि पाकिस्तान ने गुरुवार को ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में ‘आतंकी ठिकानों’ पर ड्रोन और मिसाइल से सैन्य हमले किए, जिसमें नौ लोगों की मौत हो गई. पाकिस्तान की ओर से हमला उस समय किया गया जब ईरान की ओर से पाकिस्तान के अशांत बलूचिस्तान प्रांत में सुन्नी बलूच आतंकवादी समूह जैश अल-अदल के ठिकानों पर मिसाइल और ड्रोन हमले शुरू हुए. इसके दो दिनों के बाद पाकिस्तान ने एक्शन लिया. ईरान के हमले के बाद पाकिस्तान ने ईरान से अपने राजदूत को वापस बुला लिया और सभी पूर्व निर्धारित उच्च-स्तरीय द्विपक्षीय यात्राओं को निलंबित कर दिया.
रिश्तों को पटरी पर लाने की कोशिश
इधर, तनाव बढ़ने की आशंकाओं को नकारते हुए दोनों पक्ष अपने संबंधों को पटरी पर वापस लाने की कोशिश में जुटे हैं. सूत्रों के हवाले से खबर है कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री जलील अब्बास जिलानी और ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियन आपस में फोन पर बात कर सकते हैं. विदेश कार्यालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलूच ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि विदेश सचिव रहीम हयात कुरैशी और उनके ईरानी समकक्ष सैयद रसूल मौसवी के बीच सकारात्मक बातचीत हुई है.
ईरान ने भारत के खिलाफ पाकिस्तान का दिया था साथ
गौरतलब है कि ईरान कभी पाकिस्तान का सबसे बड़ा शुभचिंतक था. 1965 और 1971 की जंग में उसने पाकिस्तान की भरपूर मदद की थी. भारत के खिलाफ पाकिस्तान को गोला बारूद और हथियारों की सप्लाई की थी. उसे तेल दिया था. यहीं नहीं विश्व मंच पर भी उसने पाकिस्तान का पूरा-पूरा पक्ष रखा था. हालांकि हाल के दिनों में हालात बदले हैं. पाकिस्तान का सबसे करीबी मित्रों में से एक ईरान उसका दुश्मन नंबर वन बन गया है. 1974 में जब पाकिस्तान के शासकों ने लीबिया के तानाशाह गद्दाफी को निमंत्रण दिया गया तो ईरान से उसकी तल्खियां बढ़ने लगी. इसके अलावा मिस्र के पाकिस्तान की करीबी ने भी ईरान को उससे दूर कर दिया.