वॉशिंगटन: अंतरिक्ष में पानी की खोज हमेशा से वैज्ञानिकों की टॉप प्रॉयरिटी रही है। पृथ्वी के बाद मंगल एक ऐसा ग्रह है, जहां वैज्ञानिकों को बर्फ के रूप में पानी होने की उम्मीद है। लेकिन, अब वैज्ञानिकों ने शनि के एक चंद्रमा एन्सेलाडस पर बर्फ से बने गड्ढों की चेन जैसी कुछ देखी है। एक अध्ययन से पता चला है कि रिंग से घिरे विशाल ग्रह शनि के छठे सबसे बड़े चंद्रमा एन्सेलाडस में कुछ जगहों पर लगभग 700 मीटर गहरी बर्फ है। एन्सेलाडस शनि के चंद्रमाओं में सबसे ठंडा है और बर्फ से ढंका हुआ है। लेकिन, इसकी सतह के नीचे एक गर्म खारे पानी का महासागर भी मौजूद है। ऐसे में वैज्ञानिकों को यहां पर जीवन होने की भी उम्मीद है।
अनुसंधान भौतिक वैज्ञानिक एमिली मार्टिन का दावा है कि एन्सेलाडस के दक्षिणी ध्रुव पर अलग-अलग गहराई पर बर्फ मौजूद है। उन्होंने कहा कि इसके दक्षिणी ध्रुव के सतह पर क्रैक से बर्फ का वाष्प में बदलना शुरू हो सकता है। एन्सेलैडस की मोटी बर्फीली सतह के नीचे छिपे खारे पानी के महासागर से लगातार तरल फव्वारे निकलते रहते हैं, जो बर्फ में बदल जाते हैं। इसेक बाद यह बर्फ एन्सेलाडस की सतह पर गड्ढों की चेन का निर्माण करती है। वैज्ञानिकों का दावा है कि एन्सेलाडस के छिपे महासागर से निकलने वाला पानी इसके कुछ पड़ोसी चंद्रमाओं तक भी पहुंचता है।
वाशिंगटन डीसी में नेशनल एयर एंड स्पेस म्यूजियम में सेंटर फॉर अर्थ एंड प्लैनेटरी स्टडीज में काम करने वाली एमिली मार्टिन अपने सहयोगियों के साथ एन्सेलाडस की बर्फ की मोटाई और घनत्व पर शोध कर रही हैं। उन्होंने बताया कि उनका रिसर्च भविष्य में चंद्रमा की सतह पर मिशन के लिए बहुत जरुरी है। मार्टिन ने समझाया कि यदि आप वहां एक रोबोट को उतारने जा रहे हैं, तो आपको यह समझने की जरूरत है कि आप कौन की सतह पर उतरने जा रहे हैं।
इकारस साइंटिफिक जर्नल में प्रकाशित उनके अध्ययन के अनुसार, टीम ने एन्सेलाडस की सहत को समझने के लिए आइसलैंड की जमीन का इस्तेमाल किया। आइसलैंड की जमीन में एन्सेलाडस जैसी विशेषताएं हैं। एन्सेलाडस की सतह पर भी धारियां और निशान बने हैं, जब इनमें बर्फ जम जाती है। बाद में यह बर्फ पिघल जाती है, लेकिन गड्ढा वैसा का वैसा ही रहता है। 2004 से 2017 तक शनि की परिक्रमा करने वाले नासा के कैसिनी अंतरिक्ष यान ने जब एन्सेलाडस की तस्वीरें भेजी, तब वैज्ञानिक इस खूबसूरत नजारे को देख पाए।