चीन ने तोड़ा हर नियम
जयशंकर से पूछा गया था कि चीन के साथ भारत का टकराव जारी है। ऐसे में क्या उन्हें लगता है कि वह ताइवान पर बलपूर्वक कब्जा कर सकता है? इस पर जयशंकर ने अपने ही अंदाज में जवाब दिया। उन्होंने कहा, ”मुझे लगता है कि बड़ी चिंता है कि हमने चीन के साथ कई समझौते किए हैं जिसके तहत वो हमारी सीमा और सीमाई इलाकों में सेना नहीं भेज सकते हैं। लेकिन उन्होंने इन समझौतों को नहीं माना और इस वजह से ही स्थिति काफी तनावपूर्ण है। हमने उनके साथ यह समझौता भी किया है कि वह वास्तविक नियंत्रण रेखा को एकपक्षीय कार्रवाई के तहत नहीं बदल सकते हैं जिसे उन्होंने कई बार बदलने की कोशिश की है। हमारा जो नजरिया है वह हमारे अनुभवों पर आधारित है।’ उनकी मानें तो पहले भी चीन ने इस तरह की सैन्य कार्रवाई की है जिसक कोई तर्क नहीं है।
किसी समझौते को नहीं मानता चीन
जयशंकर ने कहा कि दुनिया के किस हिस्से में यथास्थिति बदलेगी या नहीं, उस पर वह एक देश के विदेश मंत्री होने के नाते सार्वजनिक तौर पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते हैं। लेकिन उनका व्यक्तिगत अनुभव यही है कि चीन कभी किसी समझौते को नहीं मानता है। जब जयशंकर को बताया गया कि चीन कहता आया है कि भारत किसी समझौते को नहीं मान रहा है तो इस पर भी जयशंकर का जवाब काफी बेबाक था।
जयशंकर ने कहा कि चीन यह कतई नहीं कह सकता है कि भारत ने कोई समझौता तोड़ा है क्योंकि अक्सर चीन की सेनाएं सबसे पहले सीमा पार करती हैं। उन्होंने कहा रेकॉर्ड भी यही कहता है और स्पष्ट है कि किसने सबसे पहले बॉर्डर क्रॉस किया।
चीन में रहे राजदूत
जयशंकर साल 2009 से 2013 तक चीन में भारत के राजदूत रहे हैं। उन्हें चीन से जुड़े मसलों का काफी अनुभव है। उन्होंने पिछले दिनों कहा था कि भारत और चीन ने कुछ मसलों में प्रगति की है। लेकिन जब तक सीमाई इलाकों पर शांति और स्थिरता नहीं होगी, स्थिति नहीं बदल सकती है। जयशंकर की मानें तो भारत के साथ शांति चीन के हित में है और उसे यह बात समझनी होगी।