तेहरान: यूक्रेन जंग में मिले ईरानी ड्रोन का अहसान रूस, सुखोई-35 फाइटर जेट्स देकर चुकाएगा। इंटेलीजेंस रिपोर्ट्स पर अगर यकीन करें तो ईरान और रूस के बीच सुखोई-35 की एक पूरी स्क्वाड्रन के लिए जेट्स मुहैया कराने पर अहम डील हुई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक रूस की तरफ से 24 सुखोई-35 जेट्स ईरान को दिए जाएंगे। इन जेट्स को असल में मिस्र के लिए किया गया था। लेकिन अमेरिका ने रूस और मिस्र के बीच हुई उस डील में रोड़ा अटका दिया था। रूस के पास ये जेट्स ऐसे ही पड़े हुए थे। ऐसे में उसने अपने सबसे करीबी और यूक्रेन जंग में उसके वफादार रहे ईरान को यह जेट्स देने का फैसला कर लिया।
इंटेलीजेंस रिपोर्ट्स की मानें तो ईरानी पायलट्स को सुखोई-35 जेट्स के लिए ट्रेनिंग दी जाने लगी है। ईरान की एयरफोर्स को हाई क्वालिटी वाले फाइटर जेट्स चाहिए। ऐसे में उसके पास सुखोई-35 के अलावा और कोई विकल्प नहीं हो सकता था। फिलहाल ईरानी वायुसेना अमेरिका के ऐसे जेट्स का प्रयोग कर रही है जिन्हें 1970 के दशक में तैयार किया गया था यानी सन् 1979 में ईरानी क्रांति से पहले। रूस की तरफ से यह पहला काफी अहम है। अगर ऐसा होता है तो फिर इजरायल का गुस्सा सांतवें आसमान पर पहुंच सकता है। इजरायल पहले ही ईरानी ड्रोन की वजह से भड़का हुआ है।
यूक्रेन की जंग में अब तक ईरान की तरफ से रूस को 1700 आत्मघाती ड्रोन मुहैया कराए जा चुके हैं। आने वाले समय में 300 और ड्रोन रूस को मिल सकते हैं। ईरान को इसके बदले में रूस से एयर डिफेंस सिस्टम चाहिए जो इजरायल के संभावित हमले से उसे बचा सके। इजरायल मानता है कि जो कुछ भी ईरान कर रहा है, उससे उसके इरादे साफ नजर आ जाते हैं। उसका कहना है कि यह सब करके ईरान परमाणु समझौते को तोड़ रहा है।
जिस समय ईरान के ड्रोन यूक्रेन में हमले कर रहे थे तो उस समय इजरायल ने यूक्रेनी सेना की मदद करने का ठाना था। इजरायल की तरफ से यूक्रेन को वो इंटेलीजेंस मुहैया कराई गई जिसमें इस बात की जानकारी थी कि रूस की सेना ईरान के ड्रोन को कहां पर कैसे प्रयोग कर रही है।
इजरायल को इस बात की चिंता है कि ईरान इन हथियारों की मदद से सीरिया में उस पर हमला कर सकता है। सीरिया पर इस समय रूस का नियंत्रण है और इसके एयरस्पेस पर उसका ही अधिकार है। इजरायल, सीरिया में चलाए जा रहे रूस के ऑपरेशन पर कई बार चिंता जता चुका है। साथ ही उसने ईरान के मिलिट्री संसाधनों को तबाह करने के लिए कई बार सीरिया में हवाई ऑपरेशन चलाया है। सीरिया की सेनाओं के साथ मिलकर इजरायल ने ये ऑपरेशंस चलाए हैं।
कुछ पर्यवेक्षकों की मानें तो अमेरिका ईरान की सरजमीं पर ड्रोन की फैक्ट्रियों को निशाना बना सकता है। इजरायली इंटेलीजेंस एजेंसी मोसाद के मुखिया डेविड बारनेया की मानें तो ईरान की योजना रूस को और एडवांस्ड हथियार सप्लाई करने की है। उन्होंने चेतावनी दी है कि ईरान का मकसद इसके यूरेनियम संवर्द्धन प्रोग्राम को बढ़ाना है। साथ ही क्षेत्र में मुसलमान मित्र देशों पर अपना प्रभाव बढ़ाना है।