रावलपिंडी में आज इमरान खान का शक्ति प्रदर्शन, क्‍या नए आर्मी चीफ जनरल मुनीर के आने से झुकेंगे पाकिस्‍तान के पीएम शहबाज शरीफ

इस्‍लामाबाद: पाकिस्‍तान में नए सेना प्रमुख की नियुक्ति के बाद देश में गठबंधन सरकार और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के बीच टकराव कुछ कम होने के आसार नजर आने लगे हैं। पाकिस्‍तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के मुखिया इमरान आज सेना के गढ़ रावलपिंडी में अपना सबसे बड़ा शक्ति प्रदर्शन करने को तैयार हैं। इस बीच पाकिस्‍तान की मीडिया की तरफ से खबर दी गई है कि पाकिस्‍तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) ने पर्दे के पीछे इमरान और उनकी पार्टी के साथ बातचीत की तैयारी कर ली है। हालांकि पार्टी यह दावा कर रही है कि जल्‍द चुनाव के मसले पर किसी तरह का कोई समझौता नहीं होगा। मगर सूत्रों की मानें तो सत्‍ताधारी पीएमएल-एन और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की बेहतरी इसी में है कि वह पीटीआई को वार्ता की टेबल पर लेकर आएं। यह जानकारी ऐसे समय में सामने आई है जब गुरुवार को नए सेना प्रमुख ले. जनरल असीम मुनीर ने प्रधानमंत्री शरीफ से मुलाकात की थी।

सेना का गढ़ रावलपिंडी
26 नवंबर को पाकिस्‍तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के मुखिया इमरान अपने समर्थकों के साथ लॉन्‍ग मार्च को उसी रावलपिंडी तक लेकर जाएंगे जो सेना का गढ़ है। इमरान ने यह मॉर्च उन इंटेलीजेंस रिपोर्ट्स के आने बावजूद आगे बढ़ाने का फैसला किया है, जिनमें उनकी जान पर खतरे का जिक्र है। इमरान की मानें तो वह हर खतरे के बाद भी रावलपिंडी तक पहुंचकर रहेंगे। पूर्व पीएम को नए सेना प्रमुख की नियुक्ति को लेकर कोई चिंता नहीं है। उनके डॉक्‍टरों ने भी उन्‍हें रावलपिंडी तक मार्च की अनुमति दे दी है।पाकिस्‍तान के नए जनरल असीम का सबसे बड़ी चुनौती बने इमरान, सेना के गढ़ रावलपिंडी में करेंगे शक्ति प्रदर्शन
पार्टी के बाकी नेताओं की मानें तो उन्‍हें नहीं मालूम कि इसके बाद क्‍या होगा लेकिन माना जा रहा है कि पूर्व पीएम अपने समर्थकों के साथ काफी लंबे समय तक रावलपिंडी में रह सकते हैं। पार्टी ने एक बार फिर सरकार से मांग की है कि देश में जल्‍द नए चुनाव कराए जाएं। इस साल अप्रैल में सत्‍ता गंवाने वाले इमरान की मानें तो अगर आज देश में चुनाव होते हैं तो वर्तमान सरकार बुरी तरह से हार का सामना करेगी। उन्‍होंने कहा कि उनकी सिर्फ एक मांग है और वह देश में नए चुनावों की तारीखों के बारे में जानना चाहते हैं। इसके बाद ही कोई वार्ता हो सकती है।

पर्दे के पीछे बड़ा खेल!
दूसरी ओर पीएमएल-एन की तरफ से कहा गया है कि भले ही उनकी सरकार को बड़ी कीमत चुकानी पड़े लेकिन जल्‍द चुनाव के मसले पर कोई समझौता नहीं होगा। पार्टी का कहना है कि इमरान की मांग के आगे झुकना मूर्खता है। पार्टी के एक नेता ने अपना नाम न बताने की शर्त पर अखबार ट्रिब्‍यून को बताया है कि अगर पूर्व पीएम कड़वाहट कम करने की कोशिशें करते हैं तो सरकार उनसे बातचीत कर सकती है। पीएम शहबाज उनके साथ कोई समझौता कर सकते हैं और उन्‍हें संसद में वापस ला सकते हैं।
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पार्टी सूत्रों के मुताबिक जो कुछ भी होगा वह पर्दे के पीछे ही होगा। हालांकि सूत्र यह भी कहने से नहीं चूके कि इमरान के पास सरकार को गिराने का कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है। पार्टी के नेता के मुताबिक सरकार की तरफ से इमरान को कोई मदद नहीं मिलने वाली है। ऐसे में पीटीआई को खुद ही कोई फैसला लेना होगा। उन्होंने कहा कि पीएमएल-एन भी खुद को एक अंधी गली में पा रही है, जहां से बाहर निकलने का एकमात्र रास्ता इमरान खान ने बंद कर दिया है।

क्‍या है इमरान का मकसद
वहीं, गृह मंत्रालय में सलाहकार उमर सरफराज चीमा ने कहा है कि इमरान ने पार्टी के नेताओं के साथ कोई प्‍लान साझा नहीं किया है। सरकार-विरोधी गतिविधियों का स‍िर्फ एक मकसद था कि पीएम शहबाज दबाव में आकर चुनावों की तारीखों का ऐलान कर दें। चीमा यह बताना नहीं भूले कि पीटीआई ने पहले ही सरकार और सेना पर अपने सुरों को हल्‍का कर दिया है और गठबंधन सरकार के लिए भी उनका रुख कुछ नरम हो गया है।

Sunil Kumar Dhangadamajhi

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