Pakistan On Kashmir 370 : Article 370 References Seems Like Self Defeating Of Pakistan India Will Not Step Back Expert Claims – शहबाज, बिलावल, इमरान… पाकिस्तान की हार को दिखाता है कश्मीर राग, विशेषज्ञ बोले

इस्लामाबाद : पाकिस्तान में लंबे समय से, सिर्फ सत्ता का चेहरा बदलता है लेकिन उसकी बयानबाजी, उसके शब्द और उसके मुद्दे एक जैसे ही रहते हैं। संयुक्त राष्ट्र में चाहें इमरान खान बोलें या शहबाज शरीफ, दोनों का भाषण लगभग एक जैसा ही रहता है। जब भी भारत के साथ संबंधों की बात आती है, पाकिस्तान का कश्मीर राग शुरू हो जाता है। 2019 से पाकिस्तान कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले को वापस लेने की मांग कर रहा है। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र सत्र में हिस्सा लेने न्यूयॉर्क पहुंचे पाक पीएम शहबाज शरीफ और पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो भी 370 का पुराना राग अलापते नजर आए। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान का हर मंच से अनुच्छेद 370 के मुद्दे को उठाना उल्टा उसे ही नुकसान पहुंचा रहा है।

पिछले दिनों न्यूयॉर्क में न्यूज चैनल WION से बात करके हुए बिलावल भुट्टो ने कहा कि 2019 में कश्मीर से अनुच्छेद 370 के हटने से भारत के साथ शांति की राह मुश्किल हो गई। एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि हम भारत के साथ प्रबंध करने योग्‍य और जिम्‍मेदारीपूर्ण रिश्‍ता बनाना चाहते हैं। इससे पहले अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने पाकिस्‍तान को खुलकर कहा था कि वह भारत के साथ रिश्‍ते को मजबूत करे। वहीं शहबाज शरीफ ने भी संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए भारत के खिलाफ जहर उगला था।

द हेरिटेज फाउंडेशन में एशियन स्टडीज सेंटर के डायरेक्टर जेफ एम. स्मिथ का मानना है कि अनुच्छेद 370 का बार-बार जिक्र पाकिस्तान की आत्म-पराजय जैसा प्रतीत हो रहा है। ऐसा कोई कारण नहीं है जिससे भारत पाकिस्तान को शांत करने के लिए अपने कश्मीर के फैसले को उलट दे। ट्वीट करते हुए उन्होंने लिखा, ‘यह सिर्फ बातचीत से बचने का एक बहाना प्रतीत होता है, फिर भी इससे पाकिस्तान को कोई फायदा नहीं हो रहा है।’

शरीफ ने संयुक्त राष्ट्र के अपने भाषण में 12 से अधिक बार कश्मीर, 9 से अधिक बार भारत, 2 बार हिंदू, 4 बार इस्लाम का जिक्र किया था। शहबाज ने कहा कि भारत को रचनात्मक जुड़ाव की खातिर अनुकूल माहौल बनाने के लिए विश्वसनीय कदम उठाने चाहिए। हम पड़ोसी हैं और यह फैसला हमें लेना है कि हम शांति के साथ रहें या एक-दूसरे से लड़ते हुए। उन्होंने कहा था कि दोनों देशों के पास आधुनिक हथियार हैं लेकिन युद्ध विकल्प नहीं है। हम भारत सहित अपने पड़ोसियों के साथ शांति चाहते हैं जो कश्मीर मुद्दे के ‘समाधान’ पर निर्भर करती है।

Sunil Kumar Dhangadamajhi

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