जो भारत कह सकता है, कर सकता है, वह हर किसी के बस की बात नहीं -जयशंकर

वॉशिंगटन: रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच बढ़ती अस्थिरता को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत के रोल पर अहम बात कही है। वह अपना अमेरिका दौरा पूरा करके लौट रहे हैं और इससे पहले एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में बोल रहे थे। यहां पर एक सवाल के जवाब में उन्‍होंने कहा कि भारत कई तरह से इस समय योगदान करने में सक्षम है। उसका रोल स्थिर है और वह मतभेदों को दूर करने में बड़ी भूमिका अदा कर सकता है। जयशंकर ने अमेरिका दौरे पर रूस-यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष के अलावा कई और अहम और पहलुओं पर अधिकारियों के साथ विस्‍तार से चर्चा की है।

गुरुवार को जयशंकर ने कहा, ‘आज भारत कई तरह से योगदान कर सकता है। उसका रोल स्थिर है और वह मतभेदों को दूर करने में सक्षम है। हम कूटनीतिक रोल में हैं और हमें आर्थिक पहलू पर गौर करने की जरूरत है। हमें यह देखना होगा कि खतरे में जाती हुई विश्‍व की अर्थव्‍यवस्‍था को बचाने में हम क्‍या योगदान कर सकते हैं? इसके बाद जयशंकर ने अपने जवाब में आगे कहा, ‘कई देश हमसे बात करना चाहते हैं क्‍योंकि उन्‍हें इस बात का भरोसा है कि हम महत्‍वपूर्ण पक्षों के साथ संपर्क बनाए हुए हैं, हम उन्‍हें प्रभावित कर सकते हैं। हम उन चीजों को कहने के लिए तैयार हैं जिन्‍हें दूसरे नहीं कह सकते हैं।’ विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि हम उन तरीकों से देशों के साथ संपर्क बनाते हैं जो हर किसी के लिए संभव नहीं हैं। 

इससे पहले बुधवार को विदेश मंत्री ने अपने अमेरिकी समकक्ष एंटोनी ब्लिंकन से मुलाकात की थी। द्विपक्षीय मुलाकात के बाद जयशंकर ने कहा रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से तेल की बढ़ती कीमतों को लेकर भारत काफी चिंतित है। उन्‍होंने कहा कि यह स्थिति भारत की कमर तोड़ने वाली है। जयशंकर ने कहा कि कई विकासशील देशों में इस बात को लेकर बहुत चिंता है कि उनकी ऊर्जा जरूरतों को किस तरह से समझा जा रहा है। यूक्रेन युद्ध पर बोलते हुए जयशंकर ने कहा था कि भारत ने इस मसले पर कई बार निजी, सार्वजनिक, सीक्रेट और निरंतर स्थिति जाहिर की है। भारत ने कई बार यह स्‍पष्‍ट किया है कि यह युद्ध किसी के हित में नहीं है। इसका सिर्फ एक हल है और वह है बातचीत और कूटनीति।

इसी दौरान जयशंकर ने तेल की कीमतों पर चिंता जताई। उन्‍होंने कहा कि हम 2000 डॉलर प्रति व्‍यक्ति अर्थव्‍यवस्‍था वाला देश हैं। ऐसे में जब तेल की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि होती है तो यह हमारे लिए चिंता का विषय बन जाती है। जयशंकर ने यह बात उस सवाल के जवाब के तौर पर कही थी जो जी7 देशों की तरफ से रूस से आने वाले तेल की कीमतों को तय करने से जुड़ा था। उन्‍होंने इसी दौरान इस तरफ भी ध्‍यान दिलाया कि पिछले कुछ महीनों में ऊर्जा बाजार बहुत ज्‍यादा तनाव से गुजर रहा है।

Sunil Kumar Dhangadamajhi

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