नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने बुधवार को कट्टर इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर पांच साल का बैन लगाया है. गृह मंत्रालय के इस फैसले को संगठन ने स्वीकार कर लिया है. बुधवार को कड़े आतंकवाद विरोधी कानून UAPA के तहत पीएफआई पर ISIS जैसे वैश्विक आतंकी समूहों के साथ लिंक होने और सांप्रदायिक नफरत फैलाने की कोशिश करने का आरोप लगाया गया. इसके साथ ही PFI के आठ सहयोगी संगठन पर भी बैन लगाया गया है.
केरल राज्य के पीएफआई के महासचिव अब्दुल सत्तार ने कहा कि केंद्र के इस फैसले को हम स्वीकार कर रहे है. उन्होंने कहा कि सभी पीएफआई सदस्यों और जनता को सूचित किया जाता है कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) को भंग कर दिया गया है. एमएचए ने पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने की अधिसूचना जारी की है. हमारे महान देश के कानून का पालन करने वाले नागरिकों के रूप में, संगठन निर्णय को स्वीकार करता है.
जारी गजट अधिसूचना के अनुसार, गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत पीएफआई सहित गैर-कानूनी संगठनों को कथित आतंकी गतिविधियों के लिए प्रतिबंध एनआईए, ईडी और विभिन्न राज्य पुलिस बलों द्वारा हाल के दिनों में दो बार पीएफआई पर बड़े पैमाने पर देश भर में हुए कार्रवाई के बाद आया है. देश में आतंकी गतिविधियों को कथित रूप से समर्थन देने के आरोप में PFI के कुल 276 नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था.
प्रतिबंध के बाद, अधिकारियों ने 17 राज्यों में पीएफआई के कार्यालयों को सील करने और उनके बैंक खातों को फ्रीज करने की प्रक्रिया शुरू की, जहां संगठन काम कर रहा था. केंद्र 30 दिनों के भीतर एक न्यायाधिकरण भी स्थापित करेगा जो यह तय करेगा कि पीएफआई को “गैरकानूनी संघ” घोषित करने के लिए पर्याप्त कारण हैं या नहीं. पीएफआई प्रतिबंध के खिलाफ अपने मामले का बचाव भी कर सकती है.