कविता: आसमां में जीवन

फेंक दूंगा चाहकर
लाख कोशिशों के बाद भी
कहां फेंक पा रहे हैं !

मेरी अलमारी
साफ़ करते करते
मिले
बहुत से मुद्रित अक्षर
जीवन्त स्मृतियों से
तर-बतर
जीवन के सारी छिंटों से
हैं सारे अक्षर भीगे
चमकते हुए !!!!

मूल ओड़िया: प्रफुल्ल चंद्र पाढ़ी
कोलनरा, रायगडा जिला
मो_8917324525

अनुवाद : ज्योति शंकर पण्डा
शरत,मयूरभंज

Sunil Kumar Dhangadamajhi

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