नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर कई महीनों से तनाव बना हुआ है। चीन की ओर से भारत के कई हिस्सों पर जबरन कब्जे की कोशिशों को लेकर ये तनाव है। इसी के चलते 15 जून को गलवान में बहुत भयनाक भिड़ंत चीन और भारत के सैनिकों के बीच हो गई थी। जिसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे। भारत और चीन दोनों तरफ से ही लगातार कहा जा रहा है कि बातचीत चल रही है और तमाम मसलों का हल बैठकों के जरिए निकाला जा रहा है। वहीं दोनों ही देशों की ओर से ये भी लगातार स्वीकार किया जा रहा है कि सब ठीक नहीं है और हालात तनावपूर्ण हैं।
महाराष्ट्र की सत्ताधारी पार्टी शिवसेना ने कहा है कि लद्दाख में भारत-चीन सीमा पर स्थिति अच्छी नहीं है, वहां युद्ध जैसे हालात हैं। पार्टी ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में शुक्रवार को कहा है कि लद्दाख में हालात 1962 (भारत-चीन युद्ध का साल) जैसे हैं। चीनी सेना के गलवान से पीछे हट जाने की बात कहकर देश में एक झूठा फीलगुड माहौल बनाया जा रहा है। हकीकत ये है कि ना चीन की कार्रवाई रूकी है और ना उसके इरादे पीछे हटने के लगते हैं।
सामना के संपादकीय में कहा गया है कि लद्दाख सीमा पर क्या हालात हैं और चीन की कार्रवाई कितनी शांत हुई है, इन सवालों का जवाब देश के विदेश मंत्री दे चुके हैं। जब विदेश मंत्री कह रहे हैं कि हालात 1962 के बाद सबसे खराब हैं, तो हमें समझ लेना चाहिए कि क्या चल रहा है। ऊपरी तौर पर तनाव कम होने का आभास भले होता हो लेकिन वस्तुस्थिति कुछ अलग है। लद्दाख सीमा पर दोनों देशों की बंदूकें एक-दूसरे पर तनी हुई हैं। भले देश में फीलगुड का माहौल बनाया जाए। संपादकीय में कहा गया है कि भले ही स्थिति 1962 जैसी हो लेकिन अब हमारी सेना 1962 के इतिहास को नहीं दोहराने देगी और चीन को जवाब देगी।
शिवसेना मुखपत्र सामना में लिखे इस लेख में विदेश मंत्री एस. जयशकर के दो दिन पहले दिए एक इंटरव्यू को आधार बनाया गया है। एक इंटरव्यू में जयशंकर ने कहा है कि भारत-चीन के बीच सीमा पर इस समय तनाव है। उन्होंने कहा कि यह निश्चित तौर पर 1962 के बाद सबसे गंभीर स्थिति है। 45 सालों के बाद इस सीमा पर सैनिकों की मौत हुई । दोनों पक्षों की ओर से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अभी तैनात सुरक्षा बलों की संख्या भी अभूतपूर्व है। साथ ही उन्होंने कहा कि हम चीन के साथ राजनयिक और सैन्य दोनों माध्यमों से बातचीत कर रहे हैं। ये दोनों साथ चल रहे हैं।