Polycystic Ovary Syndrome (PCOS): सभी का ख्याल रखते हुए घर को संभालते हुए एक महिला कई बार खुद को नजरअंदाज कर देती है. हेल्थ प्रॉब्लम जब शुरू होने लगती है तब उसे एहसास होता है कि कहीं कुछ तो गड़बड़ है. महिलाओं में हाल के दिनों में पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) हार्मोनल चैलेंजेज में से एक के रूप में उभरा है. दरअसल “यह एक हार्मोनल विकार है जो प्रजनन आयु की महिलाओं को प्रभावित करता है. इससे प्रभावित महिलाओं में कई छोटे सिस्ट वाले बढ़े हुए ओवरी की उपस्थिति होती है इसलिए इसे ‘पॉलीसिस्टिक’ नाम दिया गया है. पीसीओएस क्यों होता है इसकी सही वजह अभी पता नहीं है लेकिन ऐसा माना जाता है कि आनुवंशिक और पर्यावरणीय फैक्टर इसके पीछे हो सकते हैं.
पीसीओएस लक्षणों को मैनेज करने के मौजूद हैं कई तरीके
जो भी महिला पीसीओएस से जूझ रही होती है उनमें आमतौर पर एण्ड्रोजन (पुरुष हार्मोन) का स्तर सामान्य से अधिक होता है, जो अंडाशय के नॉर्मल कार्य को बाधित कर सकता है.हालांकि अभी इस स्वास्थ्य समस्या का सटीक इलाज नहीं है, लेकिन पीसीओएस लक्षणों को मैनेज करने के कई तरीके हैं.
लाइफस्टाइल में बदलाव है जरूरी
न्यूट्रिशनिस्ट की मानें तो लाइफस्टाइल में बदलाव इसे काफी हद तक मैनेज करने में मदद कर सकते हैं. फिजिकल रूप से एक्टिव रहना और वजन को कंट्रोल में रखना पीसीओएस ट्रीटेमेंट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है अपनी डाइट में बदलाव से आप खुद की मदद कर सकते हैं पोषण विशेषज्ञ के अनुसार यह संभावना जताई गई है कि हो सकता है पीड़ित महिला संभवतः इंसुलिन प्रतिरोध है और उसे डायबीटिज पेशेन्ट की तरह का खाना लेना चाहिए. करीब आधा घंटा एक्सरसाइज को अपनी डेली रूटीन का हिस्सा बनाएं. इससे बॉडी ग्लूकोज को अच्छे ढंग से प्रबंधित कर सकेगा. इसके अलावा आहार में सब्जियों और प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों को जरूर शामिल करें.
कार्ब्स और शुगर की करें कटौती
पीसीओएस से पीड़ित को नान, रोटी, ब्रेड और चावल जैसे कार्ब्स को अपने भोजन में एक चौथाई जगह देनी है. चीनी की खपत को कम करना होगा. पीसीओएस में सूजन-रोधी खाद्य पदार्थ लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं. जैतून का तेल, टमाटर, पत्तेदार सब्जियां, मैकेरल और ट्यूना जैसी वसायुक्त मछली और मेवे सभी सूजन रोधी खाद्य पदार्थ हैं.
अपने लिए अपनी लाइफस्टाइल बदलें
माना जिंदगी दौड़ रही है लेकिन थोड़ा ब्रेक तो बनता है. थोड़ा सा वक्त अपने लिए निकालिए. अपने लिए अपनी लाइफस्टाइल बदलिए, थोड़ी सी केयर से आप हार्मोनल असंतुलन की बीमारियों को कंट्रोल कर सकती हैं.