कोलंबो : चीन के कर्ज जाल में फंसने के बाद भारत का पड़ोसी देश श्रीलंका गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। भारत लगातार श्रीलंका को मदद मुहैया करा रहा है लेकिन बीजिंग के लिए कोलंबो की वफादारी कम नहीं हो रही है। श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर चीन के युद्धपोत श्रीलंका के टैंकरों से ईंधन भर रहे थे। भारत ने इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए श्रीलंका से चीन के सैन्य जहाजों की डॉकिंग और उनमें ईंधन भरने के लिए पारदर्शी मानकों (SOP) का पालन करने के लिए कहा है। कोलंबो में मौजूद भारतीय राजनयिकों ने यह जानकारी दी है।
भारत ने श्रीलंका से कहा है कि वह हंबनटोटा बंदरगाह पर चीन के सैन्य जहाजों को ईंधन भरने की अनुमति न दे। अमेरिका ने भी श्रीलंका से चीनी सैन्य जहाजों को हंबनटोटा पोर्ट पर डॉक करने की अनुमति देने से इनकार करने के लिए कहा है। खबरों के मुताबिक श्रीलंकाई टैंकर हंबनटोटा पोर्ट से ईंधन लोड कर रहे थे और चीन के युद्धपोतों में भर रहे थे। माना जा रहा है कि वर्तमान में, पूर्वी अफ्रीकी तट पर चलने वाले समुद्री डकैती रोधी टास्क फोर्स के जहाजों के अलावा हिंद महासागर क्षेत्र में कोई और चीनी जहाज नहीं है।
विशेषज्ञों ने भी इस पर चिंता जाहिर की है। विदेश और रक्षा मामलों के जानकार ब्रह्मा चेलानी ने अपने ट्वीट में कहा, ‘न्यूज रिपोर्ट्स कह रही हैं कि श्रीलंकाई टैंकर चीनी युद्धपोतों में गुप्त रूप से ईंधन भर रहे हैं’। नकदी की तंगी से जूझ रहा श्रीलंका भले ही ईंधन, भोजन और दवा की आपूर्ति के लिए भारतीय मदद पर निर्भर है, लेकिन उसके ‘अमित्र’ कार्यों से पता चलता है कि वह चीन के कर्ज जाल में बुरी तरह फंस गया है।’
इससे पहले अगस्त में चीन के जासूसी जहाज युआन वांग 5 ने श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर डॉक किया था। भारत और अमेरिका ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई थी। चीन का सबसे खतरनाक जासूसी जहाज भारत से सिर्फ 1100 किमी की दूरी पर मौजूद था। खास बात यह कि जब श्रीलंका चीन के जासूसी जहाज का स्वागत कर रहा था, उसके ठीक एक दिन पहले भारत ने अपने पड़ोसी देश को डोर्नियर समुद्री निगरानी विमान सौंपा था।