आज देश में महंगाई और बेरोजगारी की चर्चा हर कोई कर रहा है. इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा पर हैं. इस बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के महासचिव दत्तात्रेय होसबाले का एक बयान सामने आया है जिसकी चर्चा लोग कर रहे हैं. दरअसल होसबाले ने रविवार को देश में बेरोजगारी और आय में बढ़ती असमानता पर चिंता व्यक्त की और कहा कि गरीबी देश के सामने एक राक्षस जैसी चुनौती के रूप में सामने आ रही है.
दत्तात्रेय होसबाले के इस बयान के बाद लोग तरह तरह की चर्चा करने लगे. हालांकि, आरएसएस के महासचिव ने आगे कहा कि यह एक चुनौती है जिससे निपटने के लिए पिछले कुछ वर्षों में कई कदम उठाने का काम किया गया है. उक्त बातें होसबाले ने संघ से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच (एसजेएम) द्वारा आयोजित एक वेबिनार में कही.
20 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे
दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि हमें इस बात का दुख होना चाहिए कि 20 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं जबकि 23 करोड़ लोग प्रतिदिन 375 रुपये से भी कम कमा रहे हैं. गरीबी हमारे सामने एक राक्षस-जैसी चुनौती के रूप में पेश आ रही है. उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि इस दानव को खत्म कर दिया जाए.
गरीबी के अलावा असमानता और बेरोजगारी दो चुनौतियां
आरएसएस नेता दत्तात्रेय होसबाले ने आगे कहा कि गरीबी के अलावा असमानता और बेरोजगारी दो चुनौतियां हैं जिनसे निपटने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि देश में चार करोड़ बेरोजगार हैं, जिनमें ग्रामीण क्षेत्रों में 2.2 करोड़ और शहरी क्षेत्रों में 1.8 करोड़ बेरोजगार हैं. श्रम बल सर्वेक्षण में बेरोजगारी दर 7.6 प्रतिशत बतायी है. हमें रोजगार पैदा करने के लिए न केवल अखिल भारतीय योजनाओं की आवश्यकता है, बल्कि स्थानीय योजनाओं पर भी बल देने की जरूरत है.
कौशल विकास क्षेत्र में और अधिक पहल
कार्यक्रम में होसबाले ने कुटीर उद्योगों को पुनर्जीवित करने तथा ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी पैठ बढ़ाने के लिए कौशल विकास क्षेत्र में और अधिक पहल करने का भी सुझाव दिया. आय विषमता के संदर्भ को लेकर होसबाले ने सवाल किया कि क्या यह अच्छा है कि शीर्ष छह अर्थव्यवस्थाओं में से एक होने के बावजूद, देश की आधी आबादी को कुल आय का केवल 13 प्रतिशत ही मिलता है.
भाषा इनपुट के साथ