सिलीगुड़ी ने रचा 108 तेलों से इतिहास

सिलीगुड़ी में बढ़ती रहें धर्म भावना -मुनि प्रशांत

सिलीगुड़ी (वर्धमान जैन): सिलीगुड़ी वासियों की ऐतिहासिक भेंट अर्पण करने पर मुनिश्री प्रशांत कुमार जी ने कहा – सिलीगुड़ी का चातुर्मास ऐतिहासिक रहा।श्रावक समाज ने गुरुदृष्टि की आराधना करते हुए चातुर्मासिक साधन,आराधना में जागरुक रहकर ज्ञान, दर्शन, चारित्र एवं तप के द्वारा कर्म निर्जरा की।इस बार श्रावक समाज ने विशेष रूप से तपस्या की है। चातुर्मास प्रारम्भ से लेकर अब तक तपाराधना गतिमान है। गृहस्थ जीवन का पालन करते हुए सम्यक रूप में धार्मिकता भी रहनी चाहिए। हमारा व्यवहार, आचरण, संस्कार, परिवेश सभी में आध्यात्मिक का समावेश हो जाए तो व्यक्ति का जीवन आदर्शमय बन जाता है। स्वाध्याय एवं तप अपने आप में भीतर से जागृत कर देता है।आज व्यक्ति अशांति का जीवन जी रहा है। शांति, सुकून पदार्थ में नहीं संतोष एवं संयम में है। सिलीगुड़ी वासियों में धर्म की भावना बढ़ती रहें।तप के क्षेत्र के साथ -साथ ज्ञान का भी विकास होता रहे। आध्यात्मिक विकास के बिना भौतिक विकास से साधन मिल सकते है लेकिन सुख और शांति साधना से ही मिलती है। तपस्या करना भी अपने आप में कठिन है। संकल्प से सम्पन्न व्यक्ति मुकाम को हासिल कर लेता है। व्यक्ति स्वयं के विकास के साथ परिवार, समाज एवं राष्ट्र हितों को भी महत्व दे।सिलीगुड़ी चातुर्मास कर आनन्द की अनुभूति हुई।
मुनिश्री कुमुद कुमार जी ने कहा – जैन साधु साध्वी आत्मकल्याण के साथ साथ परकल्याण का मनोभाव रखते हुए विचरण करते है। एक स्थान पर चातुर्मास कर जनमानस को आध्यात्मिक जीवन की प्रेरणा प्रदान करते है। चातुर्मास का समय विशेष धर्मोपासना का होता है। अहिंसा, संयम, त्याग -प्रत्याख्यान के द्वारा कर्म निर्जरा की जाती है। प्रभु कृपा से सिलीगुड़ी चातुर्मास सर्व दृष्टि से सफल रहा। तपस्या के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य हुआ है। त्याग -संयम के प्रति चेतना जागृत रहे। गुरु इंगित की आराधना करते हुए धर्मसंघ की प्रभावना में सिलीगुड़ी श्रावक समाज सदैव आगे रहे।मेरे संयमजीवन का यह पहला अवसर है जब चातुर्मास विदाई में होली तक 108 तेलों की भेंट श्रावक समाज ने अर्पित की।
सभा मंत्री मदन संचेती ने बताया – सिलीगुड़ी के इतिहास में पहली बार एवं तेरापंथ धर्मसंघ के इतिहास में संभवतः पहली बार चातुर्मासिक विदाई में होली तक 108 तेलों की भेंट मिली है। श्रावक समाज में तप के प्रति विशेष भावना बनी है। सिलीगुड़ी तेरापंथ सभा सभी तपस्वीयों का अभिनन्दन करती है।

Sunil Kumar Dhangadamajhi

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