2550 वां वीर निर्वाण नववर्ष महामांगलिक

संकल्प के साथ करे नए वर्ष की शुरुवात -मुनि प्रशांत

सिलीगुड़ी (वर्धमान जैन): मुनिश्री प्रशांत कुमार जी, मुनिश्री कुमुद कुमार जी के सान्निध्य मे वीर निर्वाण 2550 वां नववर्ष पर महामांगलिक का आयोजन हुआ। जनसभा को सम्बोधित करते हुए मुनि प्रशांत कुमार जी ने कहा- मंत्र के साथ त्याग से हमारा मनोबल अधिक शक्तिशाली बनता है। अनेको लोगो ने जैन विधि से दीपावली पूजन कर संयम, अहिंसा, सादगी को महत्व दिया। भगवान महावीर ने जीवन पर्यंत अहिंसा समता का संदेश दिया। अपने कर्मो को क्षय कर कार्तिक कृष्णा अमावस्या को मोक्ष को प्राप्त किया। दीपावली के अवसर पर तप त्याग करके भगवान का निर्वाण महोत्सव मनाना चाहिए। प्रभु महावीर की अंतिम देशना सुनने के लिए अठारह देश के राजा उपस्थित थे। लाखो अनुयायियों ने बेले का तप करके अंतिम देशना को सुना। जप के साथ तप करने से विशेष कर्म निर्जरा होती है। गणधर गौतम ने अमावस्या के दिन केवल्य ज्ञान को प्राप्त किया। गौतम स्वामी का जीवन अपने आप में बहुत विशिष्ट था। अनेको लब्धियों से सम्पन्न थे। प्रकाण्ड विद्वान, प्रथम शिष्य, हजारो को दीक्षा प्रदान कर भव्य आत्माओं का कल्याण किया। भगवान महावीर ने गौतम स्वामी को आधार बनाकर अप्रमता का संदेश जनमानस को दिया। हजारों प्रश्नोत्तर का संवाद भगवान के साथ गणधर गौतम का मिलता है। आज नववर्ष पर मंगलपाठ सुना इसी दिन से नया संवत् प्रारम्भ होता है। श्री वीर निर्वाण संवत्। भगवान महावीर के निर्वाण से प्रारम्भ हुआ। महावीर स्वामी ने अष्टाकर्मो को क्षय कर आत्मकल्याण किया वैसे हम भी कर्मो को हल्का कर अपनी आत्मा का कल्याण करें | मंगलकामना करता हूँ आप सबके जीवन में विघ्न बाधा कम हो। जीवन में सुख शांति समृद्धि बनी रहें। नववर्ष पर संकल्प कर अपने जीवन की नव शुरूवात करे। संकल्प से आत्म सकती पुष्ट बनती है।

मुनि कुमुद कुमारजी ने कहा- महावीर स्वामी ने आत्मदीप जलाया। मैत्री, क्षमा, अनेकांत, अपरिग्रह का संदेश दिया। दीपावली पर्व पर घर एवं दुकान की सफाई करते है वैसे ही स्वयं के भीतर के कषाय-क्रोध, मान, माया, लोभ की सफाई कर अपनी आत्मा एवं मन को शुद्ध पवित्र बनाएं। गौतम स्वामी की तरह भीतर में ज्ञान की ज्योति जलाएं। गौतम स्वामी ने अपने अहं को त्याग कर महावीर स्वामी के पास संयम को अंगीकार किया। भगवान की सन्निधी मे रहकर साधना के द्वारा पूर्व संचित कर्मों को क्षय कर उसी भव में मोक्ष को प्राप्त किया। नववर्ष का यह दिन हमे भीतर से सजग बनकर आत्माराधना करने की प्रेरणा देता है। आत्मा को ज्ञान दर्शन चारित्र एवं तप से भावित कर अपने जीवन को प्रेरक बनाएं। प्रभु महावीर स्वामी का निर्वाण दिवस हमारे जीवन का निर्माण करने वाला बनें यही मंगलकामना करें। तेरापंथ सभा के अध्यक्ष रुपचंद कोठारी, कूच बिहार से प्रकाश दुगड़, अलीपुर द्वार से ज्योति नाहटा ने विचार व्यक्त किए। आभार सभा मंत्री मदन संचेती ने व्यक्त किया।

Sunil Kumar Dhangadamajhi

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