भगवान महावीर के सिद्धांत अपनाने से जीवन की सार्थकता -मुनि प्रशांत
सिलीगुड़ी (वर्धमान जैन): मुनिश्री प्रशांत कुमार जी मुनिश्री कुमुद कुमार जी के सान्निध्य में 2550वें भगवान महावीर निर्वाण वर्ष का शुभारंभ समारोह आयोजित हुआ। जनसभा को संबोधित करते हुए मुनिश्री प्रशांत कुमार जी ने कहा – भगवान महावीर निर्वाण का 2550 वां वर्ष आज प्रारंभ हो रहा है। जैन सम्प्रदाय के सभी आचार्य,साधु – साध्वी श्रावक – श्राविका यह वर्ष मना रहे हैं। हमें अपना कर्तव्य निभाना चाहिए। जिनशासन में हम सभी धर्म – साधना कर रहे है। पूर्व जन्मों के निकाचित कर्म को तो भोगना ही पड़ता है। भगवान महावीर ने कठोर एवं दीर्घ साधना की। भगवान महावीर ने अपनी साधना के द्वारा कर्म को क्षय कर दिया।सभी प्राणियों के प्रति उच्च स्तर का समता भाव रखा। उनके मन में किसी के भी प्रति प्रतिशोध की भावना नही आई। समता भाव के साथ-साथ करुणा भाव सदैव बना रहा। किसी का उद्धार करने वाला अभिनंदनीय, पूजनीय बन जाता है। हम अपनी श्रद्धा को मजबूत बनाएं कि वीतराग ही हमारे आदर्श है। उनकी वीतरागता के बारे में चिंतन करें जिससे हमारी भी वीतरागता बढ़ती जाए।हमें तीर्थंकरों की शक्ति पर भरोसा रखना चाहिए। हमें महान परमात्मा मिले जिन्होंने पूरे विश्व को ज्ञान दिया और ऐसा रास्ता दिखाया जो परम सुख देने वाला है। मुक्ति देने वाला है।अहिंसा, संयम की आराधना करते जाए जिससे हमारे दुख खत्म हो जाए। दुख का मूल कारण राग और द्वेष है उसे कम करने की साधना करें जिससे हमारी आत्मा का उत्थान हो सके। गौतम स्वामी ने आज के दिन परम ज्ञान को प्राप्त कर लिया। अनंत लब्धि से संपन्न थे। गौतम स्वामी के नाम का चमत्कार मिलता है।भगवान महावीर ने हमें जीवंत संदेश दिया। आत्म कल्याण का रास्ता हम सभी को प्रदान किया। भगवान महावीर के सिद्धांत को जीवन व्यवहार में लाएं तभी जीवन की सार्थकता है।
मुनिश्री कुमुद कुमार जी ने कहा — भगवान महावीर ने कठोर साधना कर कर्मो का क्षय करके आज के दिन निर्वाण को प्राप्त किया। भगवान का जीवन दर्शन हमें प्रेरित करता है आत्मसाधना के लिए। कर्म का बंधन, कर्म बंधन का कारण, बंधन से मुक्ति इन तीनों बिंदू पर चिंतन करें।हम अपनी आत्मा साधना को उत्तरोत्तर बढ़ाते जाएं। कैवल्य प्राप्ति कठिन है तो सहज एवं सरल भी है। भावों की विशुद्धता कर्म को हल्का बना देती है फिर कैवल्य प्राप्ति सरल बन जाती है। भगवान महावीर का निर्वाण एवं गौतम स्वामी का केवल ज्ञान प्राप्ति दिवस औपचारिक रूप से नहीं अपितु स्व चेतना को जागृत करने के लिए मनाएं। अहिंसा, अपरिग्रह, अनेकांत दर्शन समस्याओं से निजात दिलाने वाले तत्व है।जप,तप, स्वाध्याय के द्वारा पूरे वर्ष को मनाएं।
तेरापंथ सभा अध्यक्ष रुपचंद कोठारी, तेरापंथ युवक परिषद सहमंत्री अंकित सेठिया, महिला मण्डल उपाध्यक्ष श्रीमती मंजू बैद अणुव्रत समिति अध्यक्ष श्रीमती डिम्पल बोथरा, तेरापंथ ट्रस्ट उपाध्यक्ष मदन मालू ने विचार व्यक्त किए। सामूहिक रूप से भगवान महावीर स्वामी एवं गौतम स्वामी का जप किया गया। कार्यक्रम का संचालन सभा मंत्री मदन संचेती ने किया।