झारखंड के युवा फिल्मकार निरंजन कुजूर की शॉर्ट फिल्म ‘तीरे बेंधो ना’ 21वें इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल : साइंस ऑफ द नाईट, पेरिस, फ्रांस में दिखाई जाएगी. ये फेस्टिवल 29 अक्टूबर से 5 नवंबर 2023 तक चलेगी. फिल्म का चयन फोकस इंडिया कैटेगरी में हुआ है. डच कॉलेज, हाउस ऑफ अर्जेंटीना और हाउस ऑफ इंडिया ऑफ सिटी इंटरनेशनेल यूनिवर्सिटेयर डी पेरिस (इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी सिटी ऑफ पेरिस) 29 सितंबर से 8 अक्टूबर, 2023 के बीच साइन्स डे नुइट अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के 21वें संस्करण की मेजबानी कर रहे हैं. ‘तीरे बेंधो ना’ 3 नवंबर 2023 को हाउस ऑफ इंडिया में 10 बजे रात से दिखायी जाएगी.
‘तीरे बेंधो ना’ की कहानी
शॉर्ट फिल्म ‘तीरे बेंधो ना’ के डायरेक्टर और स्क्रीनराइटर निरंजन कुजूर हैं. वहीं, इसके स्टोरी राइटर और सिनेमेटोग्राफर जॉयदीप भौमिक हैं. इसके एडिटर ज्योति रंजन नाथ हैं. शॉर्ट फिल्म की कहानी उनकी बेटी उर्मी को उसके स्कूल के वार्षिक स्वास्थ्य शिविर में हृदय संबंधी जटिलताओं का पता चलता है. होरीपोडो को अपनी पत्नी के साथ अपने रिश्ते सुधारने के लिए संघर्ष करना पड़ता है, जो पहले ही उसे छोड़ चुकी है. निरंजन ने इसे लेकर कहा, होरीपोडो का चरित्र हर परिवार में उस एक व्यक्ति पर आधारित है जो सम्मान पाने, प्यार पाने के लिए संघर्ष करता है लेकिन वास्तव में यह नहीं जानता कि इस दुनिया में कैसे काम करना है, जिसके कारण लोग उसे छोड़ देते हैं या उसे बेवकूफ बनाते हैं. ‘तीरे बेंधो ना’ एक वास्तविक घटना पर आधारित है जो कुछ साल पहले एक स्थानीय बंगाली समाचार पत्र की कतरन के रूप में हमारे पास आई थी. कहानी की नाटकीय गुणवत्ता के बावजूद, फिल्म का दृष्टिकोण यथार्थवादी और न्यूनतर रखा गया है.
जानें फ़िल्म फेस्टिवल: साइंस ऑफ द नाईट महोत्सव के बारे में
इक्कीसवां इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल: साइंस ऑफ द नाईट महोत्सव सभी क्षितिजों से और कई रूपों में फिल्में और दृश्य-श्रव्य रचनाएं पेश करता है. इनमें हमारे समकालीन समाजों के विभिन्न विषयों और समस्याओं में रुचि रखते हुए, नई सौंदर्य भाषाओं के साथ प्रयोग करने की योग्यता है. महोत्सव और इसके द्वारा प्रचारित फिल्मों का उद्देश्य वैश्विक संचार स्थापित करना है जो जनसंचार माध्यमों के सरलीकृत प्रभावों से बच सकें. प्रस्तावित रचनाएं कई कलात्मक क्षेत्रों में मूल कार्य प्रस्तुत करती हैं: ध्वनि, संगीत रचना, छवि, गति, लय, पाठ, स्थान और प्रकाश. उनका लक्ष्य न केवल सौंदर्यबोध है, बल्कि विभिन्न मूल के दर्शकों को विविध और कभी-कभी अजीब सांस्कृतिक स्थानों से अवगत कराकर उनके बीच संचार और समझ को सक्षम बनाना भी है. हम कहेंगे कि यह “एंगेज्ड सिनेमा” हो सकता है.
झारखंड के युवा फिल्मकार निरंजन कुजूर
गौरतलब है कि झारखंड के युवा फिल्मकार निरंजन कुजूर की कुडुख भाषा में बनी फि ल्म ‘एड़पा काना ’ को नॉन फीचर फिल्म कैटेगरी में बेस्ट ऑडियोग्राफी के लिए राष्ट्री य पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. झारखंड के लोहरदगा जिले के रहनेवाले निरंजन कुजूर निदेशक और पटकथा लेखक हैं. अब तक निरंजन ने कुड़ुख, हिंदी, बांग्ला और संताली भाषा में फिल्म बनायी है. हाल ही में निरंजन ने बांग्ला में शार्ट फिल्म ‘तीरे बेंधो ना’ बनायी है, जिसे केरल के IDSFFK aur SiGNS फिल्म फेस्टिवल में दिखाया जा चुका है.