त्यागी होता सबका पूजनीय -मुनि प्रशांत
सिलीगुड़ी (वर्धमान जैन): मुनि प्रशांत कुमार जी मुनि कुमुद कुमार जी के सान्निध्य में श्रीमती कोमल महनोत का मासखमण तपाभिनंदन समारोह आयोजित हुआ। जनसभा को संबोधित करते हुए मुनि प्रशांत कुमार जी ने कहा- तपस्या करना सहज सरल नहीं होता है। तप में हिम्मत दिखाना शूरवीर का काम होता है। तप करने से बड़ा लाभ होता है। कर्म निर्जरा होती है, पाप कर्म कटते है। मोहनीय कर्म क्षीण होने से तप की भावना बनती है। धर्म के भाव पैदा होना तभी संभव होता है जब शुभकर्म का उदय हो बिना धर्म के जीवन का महत्व नहीं होता है। अध्यात्म की साधना जीवन में चलती रहनी चाहिए। धार्मिक मनोवृत्ति वाला व्यक्ति का आचरण, व्यवहार सात्विक होता है। शांत वृतिया, शांत मन परमानन्द को प्राप्त करता है। अशांत मन से विषमता पैदा होती, अपराध बढते हैं। सादा जीवन और उच्च विचार हमारी पहचान होनी चाहिए। तप के साथ ध्यान का, जप का , स्वाध्याय का भी समावेश होना चाहिए। आत्मशुद्धि के लक्ष्य से की गई तपस्या से ही कल्याण होता है। जैन धर्म में त्याग का बहुत महत्व है। त्याग को सदैव वंदन किया जाता है। त्यागी व्यक्ति सबका पूजनीय होता है।तप करने से कितने प्रकार से लाभ मिलता है । आध्यात्मिक , शारीरिक भावनात्मक लाभ होता है। मन पर संयम सधता है। कोमल ने मासखमण तप किया लेकिन मुझे कल्पना नहीं थी कि इतना बड़ा तप कर लेंगी। पिछले साल पखवाड़ा किया इस बार मासखमण कर दिया। पूजा मालू ने पखवाड़े का तप कर तप में आगे बढ़े हैं।
मुनि कुमुद कुमार जी ने कहा – चातुर्मास का यह चौथा मासखमण तपाभिनंदन है। आचार्य श्री महाश्रमण जी की कृपा से तपस्वी अपने संकल्प को पूर्ण कर रहे है।तप करना आसान है लेकिन अपने अहंकार और ममकार को छोड़ना बहुत मुश्किल है। संस्थाएं हमारे आध्यात्मिक एवं सामाजिक विकास के लिए होती है।हमारा उद्देश्य संघ सेवा होना चाहिए।हम अपना आग्रह एवं विग्रह को छोड़कर विकास का काम करें। चातुर्मास का समय आध्यात्मिक साधना का है ध्यान, जप, स्वाध्याय एवं तप के द्वारा आत्मसाधना करते रहे।तपस्या करने वाले साधुवाद के पात्र है।
तपाभिनन्दन में अनेक श्रावक श्राविकाओं ने त्याग की भेंट मुनिवृंद को दी। अशोक महनोत, बजरंग रामपुरिया, रतनलाल भंसाली, श्रीमती मंजू सुराणा,श्रेयांस मालू, कोमल के पारिवारिक सदस्यों ने व्यक्तव्य एवं गीत द्वारा अभिव्यक्ती दी।तेरापंथ सभा, तेरापंथ युवक परिषद, तेरापंथ महिला मंडल,अणुव्रत समिति, टीपीएफ के सदस्यों ने सामूहिक गीत की प्रस्तुति दी। साध्वी प्रमुखा विश्रुतविभा जी के संदेश का वाचन सभाध्यक्ष रुपचंद कोठारी ने किया। साध्वी प्रज्ञा श्री जी, साध्वी विनयप्रभा जी के संदेश का वाचन मुनि श्री कुमुद कुमार जी ने किया। सभी संस्थाओं द्वारा कोमल महनोत का अभिनन्दन किया गया। पूजा मालू का साहित्य द्वारा सम्मान किया गया। कार्यक्रम का कुशल संचालन मुनि श्री कुमुद कुमार जी एवं सभा मंत्री मदन संचेती ने किया।