मां मनसा देवी चालीसा, जानें महत्व और लाभ

देवी मनसा को भगवान शंकर की पुत्री के रूप में पुराणों में मान्‍यता प्राप्‍त है। पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार, मां मनसा की शादी जगत्‍कारू से हुई थी और उनके पुत्र का नाम आस्तिक था। मनसा देवी को नागों के राजा वासुकी की बहन के रूप में भी जाना जाता है। मनसा देवी के मंदिर का इतिहास बहुत ही गौरवशाली माना जाता है। यह प्रसिद्ध मंदिर हरिद्वार से 3 किमी दूर शिवालिक पर्वत श्रृंखला में बिलवा पहाड़ पर स्थित है। नवरात्र के महीन में यहां पर भक्‍तों की भारी भीड़ रहती है। मान्‍यता है कि यहां भक्‍त जो मुराद लेकर आते हैं, उनकी वह मनोकामना देवी मां पूर्ण करती हैं।

मनसा देवी चालीसा का पाठ करने से सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। मनसा देवी की कृपा से सिद्धि-बुद्धि,धन-बल और ज्ञान-विवेक की प्राप्ति होती है। मनसा देवी के प्रभाव से इंसान धनी बनता है, वो तरक्की करता है। वो हर तरह के सुख का भागीदार बनता है, उसे कष्ट नहीं होता। मनसा देवी की कृपा मात्र से ही इंसान सारी तकलीफों से दूर हो जाता है और वो तेजस्वी बनता है।

मां मनसा देवी चालीसा

मनसा माँ नागेश्वरी, कष्ट हरन सुखधाम।
चिंताग्रस्त हर जीव के, सिद्ध करो सब काम॥
देवी घट-घट वासिनी, ह्रदय तेरा विशाल।
निष्ठावान हर भक्त पर, रहियो सदा तैयार॥
पदमावती भयमोचिनी अम्बा, सुख संजीवनी माँ जगदंबा।
मनशा पूरक अमर अनंता, तुमको हर चिंतक की चिंता॥
कामधेनु सम कला तुम्हारी, तुम्ही हो शरणागत रखवाली।
निज छाया में जिनको लेती, उनको रोगमुक्त कर देती॥
धनवैभव सुखशांति देना, व्यवसाय में उन्नति देना।
तुम नागों की स्वामिनी माता, सारा जग तेरी महिमा गाता॥
महासिद्धा जगपाल भवानी, कष्ट निवारक माँ कल्याणी।
याचना यही सांझ सवेरे, सुख संपदा मोह ना फेरे॥
परमानंद वरदायनी मैया, सिद्धि ज्योत सुखदायिनी मैया।
दिव्य अनंत रत्नों की मालिक, आवागमन की महासंचालक॥
भाग्य रवि कर उदय हमारा, आस्तिक माता अपरंपारा।
विद्यमान हो कण कण भीतर, बस जा साधक के मन भीतर॥
पापभक्षिणी शक्तिशाला, हरियो दुख का तिमिर ये काला।
पथ के सब अवरोध हटाना, कर्म के योगी हमें बनाना॥
आत्मिक शांति दीजो मैया, ग्रह का भय हर लीजो मैया।
दिव्य ज्ञान से युक्त भवानी, करो संकट से मुक्त भवानी॥
विषहरी कन्या, कश्यप बाला, अर्चन चिंतन की दो माला।
कृपा भगीरथ का जल दे दो, दुर्बल काया को बल दे दो॥
अमृत कुंभ है पास तुम्हारे, सकल देवता दास तुम्हारे।
अमर तुम्हारी दिव्य कलाएँ, वांछित फल दे कल्प लताएँ॥
परम श्रेष्ठ अनुकंपा वाली, शरणागत की कर रखवाली।
भूत पिशाचर टोना टंट, दूर रहे माँ कलह भयंकर॥
सच के पथ से हम ना भटके, धर्म की दृष्टि में ना खटके।
क्षमा देवी, तुम दया की ज्योति, शुभ कर मन की हमें तुम होती॥
जो भीगे तेरे भक्ति रस में, नवग्रह हो जाए उनके वश में।
करुणा तेरी जब हो महारानी, अनपढ बनते है महाज्ञानी॥
सुख जिन्हें हो तुमने बांटें, दुख की दीमक उन्हे ना छांटें।
कल्पवृक्ष तेरी शक्ति वाला, वैभव हमको दे निराला॥
दीनदयाला नागेश्वरी माता, जो तुम कहती लिखे विधाता।
देखते हम जो आशा निराशा, माया तुम्हारी का है तमाशा॥
आपद विपद हरो हर जन की, तुम्हें खबर हर एक के मन की।
डाल के हम पर ममता आँचल, शांत कर दो समय की हलचल॥
मनसा माँ जग सृजनहारी, सदा सहायक रहो हमारी।
कष्ट क्लेश ना हमें सतावे, विकट बला ना कोई भी आवे॥
कृपा सुधा की वृष्टि करना, हर चिंतक की चिंता हरना।
पूरी करो हर मन की मंशा, हमें बना दो ज्ञान की हंसा॥
पारसमणियाँ चरण तुम्हारे, उज्वल करदे भाग्य हमारे।
त्रिभुवन पूजित मनसा माई, तेरा सुमिरन हो फलदाई॥
इस गृह अनुग्रह रस बरसा दे, हर जीवन निर्दोष बना दे।
भूलेंगें उपकार ना तेरे, पूजेंगे माँ सांझ सवेरे॥
सिद्ध मनसा सिद्धेश्वरी, सिद्ध मनोरथ कर।
भक्तवत्सला दो हमें सुख संतोष का वर, सुख संतोष का वर॥
मैया जी से जय माताजी कहियो, कहियो जी माँ के लाडलो॥

Sunil Kumar Dhangadamajhi

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