क्यों भेजी गई थी रूस
यह वही पनडुब्बी है जो साल 2014 में हादसे का शिकार हो गई थी। एक युद्धाभ्यास के समय इस पनडुब्बी पर आग लग गई थी। यह हादसा आईएनएस सिंधुरक्षक पर हुए हादसे के ठीक बाद हुआ था। साल 2013 में उस पनडुब्बी पर ब्लास्ट की वजह से 18 भारतीय नौसैनिक शहीद हो गए थे। हादसों की वजह से आईएनएस सिंधुरत्न के साथ चार और किलो क्लास की पनडुब्बी को मीडियम रीफिट के लिए रूस भेजने का फैसला किया गया। इस रीफिट के लिए भारत और रूस के बीच 700 मिलियम डॉलर की एक डील साइन हुई थी। भारत ने रूस के साथ 10 पनडुब्बियों का सौदा किया था। साल 1986 से 2000 के बीच पनडुब्बियां भारत को मिली थीं। जुलाई 2021 में भारत ने एक और पनडुब्बी आईएनएस सिंधुध्वज को रिटायर कर दिया था।
जंग ने रोका सबकुछ
भारतीय नौसेना एक कमर्शियल ट्रांसपोर्ट डॉकशिप पर आईएनएस सिंधुरत्न को ‘सी-लिफ्ट’ करना चाहती थी। अक्टूबर 2022 में रूस के सेवेरॉद्वीन्स्क से एक जहाज भी आया और लगने लगा कि पनडुब्बी का रीफिट हो जाएगा। मगर यूकेन जंग की वजह से रूस पर प्रतिबंध लगा दिए गए और सी-लिफ्ट का प्लान पूरी तरह से फेल हो गया। इसके साथ ही पनडुब्बी रूस में ही अटक गई इन प्रतिबंधों की वजह से कमर्शियल ट्रांसपोर्ट के डॉक ऑपरेटर्स जो रूस में काम कर रहे थे, उन्होंने अपना काम बंद कर दिया। पश्चिमी देशों पर लगे प्रतिबंधों ने रूसी बंदरगाहों पर ट्रांसपोर्ट जहाज का आना-जाना पूरी तरह से बंद कर दिया था।
क्या है नौसेना का प्लान
रूस और यूक्रेन युद्ध की वजह से भारत के रणनीतिक हितों पर भी असर पड़ा। भारत को आईएनएस सिंधुरत्न को वापस देश लाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सूत्रों की मानें तो भारतीय नौसेना चाहती थी कि आईएनएस सिंधुरत्न को केप ऑफ गुड होप के रास्ते मुंबई लेकर आया जाए जो दक्षिण अफ्रीका में है। अब हो सकता है कि पनडुब्बी को नॉर्व के रास्ते भारत लाया जाएगा। नौसेना अब ऐसे कमर्शियल ट्रांसपोर्ट डॉक ऑपरेटर को तलाश रही है जो पनडुब्बी को मुंबई ला सके। माना जा रहा है कि पनडुब्बी के क्रू को रूस भेजा जाएगा। यहां से क्रू पनडुब्बी को नॉर्वे के रास्ते मुंबई लेकर आएगा।
कितनी पनडुब्बियों की जरूरत
कहा जा रहा है कि नॉर्वे पहुंचते ही पनडुब्बी को एक कमर्शियल जहाज पर लोड किया जाएगा। माना जा रहा था कि पनडुब्बी इस साल मार्च तक भारत आ जाएगी। प्रतिबंधों की वजह से इस योजना में थोड़ी देर हो सकती है। अगर पनडुब्बी देर से भारत पहुंची तो फिर भारतीय नौसेना की क्षमताओं पर खासा असर पड़ सकता है। भारतीय नौसेना की 30 वर्षीय योजना के तहत 18 पारंपरिक पनडुब्बियों की जरूरत है।