इमरान ने कहा, ‘पूर्वी पाकिस्तान में क्या हुआ था, चुनाव जीतने वाली सबसे बड़ी पार्टी के खिलाफ की सैन्य कार्रवाई कर दी गई। उनका हक उन्हें नहीं दिया गया। मैं 18 साल की उम्र में वहां मैच खेलने गया था, मार्च 1971, हमारे यहां प्रेस सेंसरशिप थी तो मुझे नहीं पता था कि वहां इतनी नफरत है। उसी बांग्लादेश में मैं 18 साल बाद कप्तान के रूप में हिंदुस्तान के खिलाफ मैच खेलने गया। सारा स्टेडियम ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारों से गूंज रहा था।’
‘हमने उनके साथ इंसाफ नहीं किया’
उन्होंने कहा, ‘स्टेडियम से होटल तक सड़क के दोनों तरफ लोग खड़े थे जो पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगा रहे थे। तब मुझे पता चला कि हमने कितना जुल्म किया उन लोगों पर, जो हमें छोड़ना नहीं चाहते थे। हमने उनके साथ इंसाफ नहीं किया और आज भी आप वही करने जा रहे हैं। सबसे बड़ी पार्टी को दबा रहे हैं और उसके लीडर की हत्या की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि अगर इमरान चला जाएगा तो पार्टी बिखर जाएगी। जो पार्टी देश को इकट्ठा रख सकती है वह सिर्फ तहरीक-ए-इंसाफ है।’
समर्थकों से प्रदर्शन की अपील
संबोधन में इमरान ने पाकिस्तान के चुनाव आयोग को गठबंधन सरकार का मोहरा और चुनाव आयुक्त को ‘शरीफ परिवार का नौकर’ बताया। उन्होंने कहा कि अस्पताल से ठीक होकर बाहर आने के बाद वह फिर इस्लामाबाद की ओर कूच करेंगे। इमरान ने अपने समर्थकों से कहा कि वे सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करें और शहबाज शरीफ, राणा सनाउल्लाह और वरिष्ठ सैन्य अधिकारी से इस्तीफा देने के लिए कहें। जब तक ये लोग इस्तीफा नहीं देंगे इस केस में जांच आगे नहीं बढ़ेगी।