मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार द्वारा पेश किया गया समान नागरिक संहिता उत्तराखंड 2024 विधेयक सदन में पारित हो गया. विधानसभा में यूसीसी बिल पास होने के बाद उत्तराखंड समान नागरिक संहिता लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है. इधर समान नागरिक संहिता 2024 विधेयक सदन में पारित होने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की मौजूगी में विधायकों ने जश्न मनाया और मिठाइयां बांटीं.
हमें समान नागरिक संहिता की जरूरत : पुष्कर सिंह धामी
उत्तराखंड विधानसभा में सीएम पुष्कर सिंह धामी ने यूसीसी पर कहा, संविधान के सिद्धांतों पर काम करते हुए हमें समान नागरिक संहिता की जरूरत है. अब समय आ गया है कि हम वोट बैंक की राजनीति और राजनीतिक व्यक्तिगत लाभ से ऊपर उठें और एक ऐसे समाज का निर्माण करें जो बिना किसी भेदभाव के समान और समृद्ध हो.
उत्तराखंड ने रचा इतिहास
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य विधानसभा में समान नागरिक संहिता(UCC) उत्तराखंड 2024 विधेयक पर कहा, ये कोई सामान्य विधेयक नहीं है. देवभूमि उत्तराखंड को इसका सौभाग्य मिला. भारत एक बहुत बड़ा देश है जिसमें बहुत सारे प्रदेश हैं लेकिन ये अवसर हमारे राज्य को मिला. हम सब गौरान्वित हैं कि हमें इतिहास लिखने और देवभूमि से देश को दिशा देने का अवसर मिला है.
विपक्षी दलों के सदस्यों ने यूसीसी विधेयक को प्रवर समिति को भेजे जाने की मांग की
उत्तराखंड विधानसभा में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्षी दलों के सदस्यों ने विधेयक को सदन की प्रवर समिति को भेजे जाने की मांग की थी. चर्चा में हिस्सा लेते हुए बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सदस्य मोहम्मद शहजाद ने कहा कि भारत में एक धार्मिक ताना-बाना है और हर धर्म के लोगों को अपने-अपने रीति रिवाज मानने की स्वतंत्रता होनी चाहिए. यूसीसी विधेयक में महिलाओं को अपने पिता की संपत्ति में बराबर का हक दिए जाने वाले प्रावधान का जिक्र करते हुए शहजाद ने कहा कि इससे ससुराल वाले उसे मायके से संपत्ति लाने के लिए तंग कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि इसकी बजाय ऐसा कानून लाया जाए जिससे महिला को ससुराल में संपत्ति का हक मिले जिससे उसका सम्मान बढ़ेगा. उन्होंने कहा कि ऐसे संशोधनों को विधेयक में शामिल करने के लिए उसे सदन की प्रवर समिति को भेज दिया जाना चाहिए.
यूसीसी में क्या है खास
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बहु विवाह पर रोक, हलाला’ प्रतिबंधित -यूसीसी विधेयक में बहु विवाह पर रोक लगाई गयी है और कहा गया है कि एक पति या पत्नी के जीवित रहते कोई नागरिक दूसरा विवाह नहीं कर सकता. विधेयक में मुस्लिम समुदाय में तलाकशुदा पत्नी के लिए प्रचलित ‘हलाला’ को प्रतिबंधित करने के साथ ही उसे आपराधिक कृत्य घोषित करते हुए उसके लिए दंड का प्रावधान किया गया है.
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शादी के एक साल तक नहीं ले सकते तलाक – उत्तराखंड विधानसभा में पेश यूसीसी विधेयक में तलाक को लेकर विशेष प्रावधान किए गए हैं. जिसमें कुछ खास स्थिति को छोड़कर कोर्ट में तलाक की कोई भी अर्जी तब तक प्रस्तुत नहीं की जाएगी जब तक कि विवाह हुए एक वर्ष की अवधि पूरी न हुई हो.
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‘लिव-इन’ की सूचना नहीं देने पर तीन महीने की जेल, और 10 हजार का जुर्माना – विधेयक में ‘लिव-इन’ में रह रहे जोड़ों की सूचना आधिकारिक रूप से देना जरूरी बनाते हुए जोड़ों के बच्चों को जैविक बच्चों की तरह उत्तराधिकार देना प्रस्तावित है. विधेयक में कहा गया कि अगर एक माह के भीतर ‘लिव-इन’ में रहने की सूचना नहीं देने पर तीन माह की कैद या दस हजार रुपये का जुर्माना या दोनों दंड प्रभावी होंगे. इस संबंध में गलत सूचना देने पर भी दंड का प्रावधान किया गया है.
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‘लिव-इन’ में रहने वाली महिला को छोड़ने पर देना होगा गुजारा-भत्ता – ‘लिव-इन’ में रहने वाली महिला को अगर उसका पुरूष साथी छोड़ देता है तो वह उससे गुजारा-भत्ता पाने का दावा कर सकती है.
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यूसीसी के दायरे से अनुसूचित जनजातियों को बाहर रखा गया – उत्तराखंड विधानसभा में पेश यूसीसी विधेयक में सबसे खास बात है कि इसके दायरे से प्रदेश में निवासरत अनुसूचित जनजातियों को बाहर रखा गया है.