युवाओं को तेजी से शिकार बना रहा है कैंसर उम्र जितनी कम खतरा उतना ही बड़ा नई स्टडी में खुलासा

वॉशिंगटन: एक समय कैंसर को बुढ़ापे की बीमारी माना जाता था। लेकिन आज के समय ये युवाओं में तेजी से फैल रहा है। कैंसर लगातार युवाओं को अपना शिकार बना रहा है। 44 देशों के कैंसर रजिस्ट्री रेकॉर्ड की एक नई समीक्षा में पता चला है कि आंत और 13 अन्य प्रकार के कैंसर के शुरुआती मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इनमें से ज्यादातर ऐसे हैं जो पाचन तंत्र को प्रभावित करते हैं। यह मामले 50 से कम उम्र के लोगों में बढ़ रहे हैं। यह वृद्धि मध्यम आय और अधिक आय वाले देशों में हो रही है। इस रिव्यू के लेखकों का कहना है कि कैंसर के कुछ प्रकार जैसे थायराइड कैंसर के मामले युवा वयस्कों में बढ़ रहे हैं।

इस रिव्यू के सह-लेखक हार्वर्ड टी.एच. चान पब्लिक स्कूल में पैथोलॉजी के प्रोफेसर शुजी ओगिनो ने कहा कि ज्यादातर मामले मोटापा, निष्क्रियता, डायबिटीज, स्मोकिंग, एल्कोहल, प्रदूषण, पश्चिमी देशों में ज्यादातर खाए जाने वाला रेड मीट से जुड़े हैं। उन्होंने आगे कहा, ‘कैंसर के कई अज्ञात कारक भी हैं, जैसे खाद या खाने में मिलाया जाने वाला कैमिकल भी हो सकता हैं। हमें अभी इसका पता नहीं है।’ ओगिनो का ऐसा मानना इसलिए है क्योंकि 14 में से 8 मामले पेट और पाचन तंत्र से जुड़े हुए हैं।

जॉन्स हॉपकिन्स ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की एक महामारी विज्ञानी डॉ एलिजाबेथ प्लैट्ज़ मानती हैं कि ये एक महत्वपूर्ण रिव्यू है, जो दिखाता है कि कम उम्र के लोग भी शिकार हो रहे हैं। मोटापे की ही बात करें तो ये दुर्लभ था, लेकिन आज ये बेहद आम हो गया है। खतरनाक तरीके से हाई बॉडी मास इंडेक्स आम हो गया है, बल्कि लोग जीवन में एक उम्र से पहले ही मोटे हो रहे हैं। यही नहीं, बचपन में भी मोटापा घेर रहा है। इसलिए ये कैंसर पिछली पीढ़ियों की तुलना में दशकों पहले सामने आ रहे हैं।

पेट से जुड़े कैंसर में बढ़ोतरी तेजी से हो रही है। ओगिनो के रिव्यू में पाया गया कि हर साल अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फ्रांस और जापान के युवा वयस्कों में कोलोरेक्टल कैंसर 2 फीसदी की औसत से बढ़ा है। ब्रिटेन में इंग्लैंड, स्कॉटलैंड और वेल्स में ये हर वर्ष तीन फीसदी की दर से बढ़ा। कोरिया और इक्वाडोर में इसके बढ़ने की रफ्तार 5 फीसदी है। ओगिनो कहते हैं, ‘हो सकता है ये आंकड़ा बड़ा न लगे, लेकिन आप इसे मुद्रास्फीति की तरह देखिए, हर साल अगर ये आंकड़ा बढ़ता रहा तो 10 या 20 साल में एक बड़ा बदलाव होगा।’

ओगिनो के रिव्यू में कोहोर्ट प्रभाव भी पाया गया है। जिसके मुताबिक जो जितना बाद में पैदा हुआ है, उसे उतना ही ज्यादा खतरा है। उदाहरण के लिए जो व्यक्ति 1980 के दशक में पैदा हुआ है, उसे 1990 में जन्म लेने वाले से ज्यादा खतरा है। स्टडी में पाया गया है कि 20-50 की उम्र के लोगों में मामले बढ़े हैं। हर 10 में से एक मामला इसी आयुवर्ग में पाया जा रहा है।

Sunil Kumar Dhangadamajhi

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