पटना: दलित मुस्लिम आरक्षण के मुद्दे को लेकर आल इण्डिया युनाइटेड मुस्लिम मोर्चा ने आज पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस श्री शरद अरविंद बोबडे से PIL-180/2004 पर फाइनल फैसला सुनाने की गुहार लगाई है।
मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व प्रवक्ता कमाल अशरफ राईन ने कहा कि दलित मुस्लिम अधिकार का मुकदमा तकरीबन दो दशकों से सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।इसकी इशू फ्रेमिंग 2011 में ही हुई और 2019 में केन्द्रीय सरकार ने अपना पक्ष भी सुप्रीम कोर्ट में भेज दिया है।ऐसी स्थिति में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अब तक ना आना चिन्ताजनक है।
उन्होंने कहा कि दलित मुस्लिम की शैक्षिक आर्थिक और सामाजिक स्थिति महादलितों जैसी है। लोकतांत्रिक व्यवस्था के 70 वर्षों बाद भी इनकी चिन्ताजनक स्थिति का मूल कारण धारा 341 पर लगा वह धार्मिक प्रतिबंध है जो राष्ट्रपति अध्यादेश 1950 द्वारा अंजाम दिया गया है।
मोर्चा नेता मो अनवर हवारी ने कहा कि मैं धोबी जाति का हूं और कपड़े धूलना हमारी परम्परागत पेशा है। मेरे पूर्वज भी यही पेशा करते थे और हम सभी जन्मजाति दलित वर्ग के हैं। हमारी ही तरह नट, बंजारा, हलालखोर, मेहतर, भंगी, मोची, पासी, खटिक, मदारी मंगता, फकीर आदि जाति के सदस्य भारतीय मुस्लिम समुदाय में भी पाएं जाते हैं। दलित मुस्लिम को अनुसूचित जाति में शामिल किया जाना ही तो हमारी मांग है। इसे धरमांत्रित दलितों से क्या मतलब है।
मोर्चा के महासचिव मो मुश्ताक आजाद ने कहा कि केन्द्रीय सरकार धर्मांतरण का बहाना बनाकर हमें अपना अधिकार देने से क्यों भागती है? अगर उसे इतना ही भय है तो फिर धर्मांतरण पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दे जिसका समर्थन समस्त मुस्लिम समुदाय करेगा, लेकिन इसके आड़ में गरीब गुरबा मुसलमानों को बुनियादी अधिकार से वंचित रखना न्यायोचित नहीं है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में मो जावेद अनवर उर्फ पप्पू एवं मो शमसाद भी मौजूद थे।
पटना से रामजी प्रसाद की रिपोर्ट Yadu News Nation