डॉ एनके सिंह ने कहा कि परीक्षण में पाया गया है कि हरदिन एक बार देने वाले basal इंसुलिन की तुलना में उतना ही इफेक्टिव है और सुरक्षित है. निश्चित रूप से जो मरीज अभी इंसुलिन रोज लेने में आनाकानी करते हैं उनके लिए हफ्ते में इन्सुलिन का एक प्रिक लेना आसान और उपयोगी होगा. इसके इस्तेमाल से यह फायदा होगा कि अगर साल में किसी मरीज को 365 बार सुई देनी पड़ती है, उसे मात्र 52 बार ही देना होगा.
आज डायबिटीज के इलाज में सबसे महत्वपूर्ण दवा एसजीएलटी (SGLT2 inhibitor) है जिसमें Emapagliflozin ,Dapagliflozin and Canagliflozin शामिल है. इसका कारण यह है कि यह डायबिटीज के मरीजों में होने वाले जानलेवा दुष्परिणाम जो हार्ट फेल होना है या किडनी का फेल होना है उससे यह बचाता है.
कुछ रिसर्च ने दिखाया है कि इस ग्रुप की दवा देने से मरीजों का जीवन करीब 15 साल तक बढ़ सकता है. आज अनडिस्प्यूटेड तौर पर यह दवा डायबिटीज के मरीजों को देने की बात हो रही है. इस दवा को देने से कुछ मरीजों के मूत्र में होनेवाले इंफेक्शन या यौन अंगों पर कुछ जेनिटल ट्रैक्ट इनफेक्शन जेनिटलहोने का डर बना रहता है लेकिन यह खतरा बहुत ज्यादा नहीं है.
डॉ एनके सिंह की देखरेख में भारत में एक जीनियस स्टडी की गई है और इसमें करीब 16000 मरीज का डाटा लिया गया है और उसमें यूरिनरी ट्रैक्ट और जेनिटल ट्रैक्ट इनफेक्शन होने के , इंसीडेंस और अन्य दवाइयों जैसे ग्लिप्टिन देने से क्या सुरक्षा मिलती है इस पर अध्ययन किया गया है ,जो शीघ्र प्रकाशित होगा.
अभी हाल में 11 नवंबर को अमेरिकन फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन एफडीए द्वारा त्रिज्यिपेटाइट दवा डायबिटीज के मरीजों में अगर मोटापा है तो उसके लिए अप्रूव कर दी गई है यह एक अत्यंत उपयोगी दवा होगी और इसका इंजेक्शन मात्र हफ्ते में एक बार ही देना होगा और इससे करीब पाया गया है की 5 किलो से लेकर 10 किलो तक वजन घट जाता है.
डायबिटीज के मरीजों में पेनक्रियाज के बीटा (Beta) सेल में और लीवर में चर्बी जमा होती है वह डायबिटीज होने का एक मुख्य कारण बनता जा रहा है .वजन घटने से उसमें फैट की घटेगा और यह दवा इस तरह मरीजों के फ्यूचर के लिए वरदान साबित हो सकती है.
अब एक और नई दवा IMEGIMILIN भारत के बाजारों में उपलब्ध है और यह डायबिटीज में होने वाले बीटा सेल के secretion की जो कमी होती है और मांशपेशियों पर जो इन्सुलिन रेजिस्टेंस होता है, यह दोनों स्तरों पर बहुत उपयोगी है. नई सुरक्षित दवा भी है.
डायबिटीज के इलाज में भी जो सबसे बड़ा चेंज धीरे-धीरे होता दिख रहा है वह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग है. Chat Gpt के आने के बाद जनसाधारण को भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का पता है खासकर डायबिटीज में होने वाले डायबीटिक रेटिनोपैथी जो आपके पर्दे में खराबी होती है. उसके डिटेक्शन में इसकी अहम भूमिका भारत में पिछले दो-तीन सालों से तेजी से बढ़ी है.
इसी तरह ग्लूकोज के नियंत्रण में कंटीन्यूअस ग्लूकोस मॉनिटरिंग continuous glucose monitoring में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग अत्यंत सुरक्षित और प्रभावकारी है इससे मरीजों को अपना वजन घटाने अपने इंसुलिन के डोज पर नजर रखने अपने शरीर में होने वाले कॉम्प्लिकेशंस की टोह लेने में मदद मिल रही है. इस तकनीक के सरल और कम दाम होने के कारण या जल सुलभ तक शीघ्र पहुंचेगी.
2023 में सबसे बड़ी बात फिर भी वही है की हर मरीज को पर्याप्त व्यायाम की जरूरत है इसके बिना शुगर का नियंत्रण और शरीर में होने वाले दुष्परिणामों को रोकना संभव नहीं लगता है. अभी एरोबिक्स 1 घंटे रोज ,जो कि आप एक घंटा फास्ट वॉक या दौड़ने से या बैडमिंटन खेलने से हो जाता है. इसके अलावा जो जिम वाले एक्सरसाइज हैं जैसे रेजिस्टेंस एक्सरसाइज इस हफ्ते में काम से कम 10 से 15 मिनट तीन बार करना इंसुलिन की संवेदनशीलता को बढ़ा देता है और इस तरह बहुत शुगर का नियंत्रण बहुत अच्छा होने लगता है.
इस फास्ट फूड के कल्चर में एक्सरसाइज की विधा हाई इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेंनिंग HIIT डायबिटीज के शुगर नियंत्रण में उपयोगी पाई गई है और यह उन मरीजों के लिए खासकर बहुत फायदेमंद है जिनके पास 10 से 15 मिनट का ठीक टाइम है. योग पर भी अभी बहुत से रिसर्च चल रहे हैं और खासकर सूर्य नमस्कार का अगर 12 राउंड किया जाए तो है इंसुलिन की संवेदनशीलता बढ जाता है और इन्सुलिन रजिस्टेंस सुधार जाता है. यह आपके शुगर को बहुत अच्छी तरह नियंत्रित करता है तो इसे आप जरूर करें. एक्सरसाइज बिलियन डॉलर ड्रग है जिसे मरीज नहीं करते हैं.
सुबह का एक्सरसाइज करें या शाम का इसमें शाम का एक्सरसाइज भी बहुत फायदेमंद पाया जाता है लेकिन जो भी समय सूट करें आपके रूटिंग से उसे आप कर सकते हैं. डाइट के बारे में नया अपडेट यही है कि इंटरमिटेंट फास्टिंग पर काफी रिसर्च हो चले हैं और अगर एक टाइम का खाना आप छोड़ देते हैं ( क्रोनो न्यूट्रिशन का कॉन्सेप्ट) उपयोगी पाया गया है.
अगर आप खाना शाम में 6 बजे के बाद ना खाएं. उसके पहले ही जो खाना है खा ले तो नेचुरल में शरीर में होने वाले जो चेंज हैं, जो ब्रेन से केमिकल स्रावित होते हैं उससे इन्सुलिन रेजिस्टेंस कम हो जाता है और इस तरह शुगर का नियंत्रण में भी यह बहुत उपयोगी पाया गया है. क्रोनो न्यूट्रिशन, प्रोटेक्टिव फूड्स और तले हुए चीजों का कम से कम प्रयोग ताजी सब्जियों फलों का उपयोग बादाम आदि का प्रयोग काफी उपयोगी पाया गया है.