अणुव्रत समिति द्वारा अहिंसा दिवस का आयोजन

अहिंसा सब प्राणी के लिए कल्याणकारी -मुनि प्रशांत

सिलीगुड़ी (वर्धमान जैन): मुनि श्री प्रशांत कुमार जी मुनि श्री कुमुद कुमार जी के सान्निध्य में अणुव्रत समिति सिलीगुड़ी द्वारा अहिंसा दिवस का आयोजन हुआ। जनसभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री प्रशांत कुमार जी ने कहा-अहिंसा सब प्राणी के लिए कल्याणकारी है। अहिंसा माता है। किसी भी प्राणी के प्रति मन में द्वेष का भाव रखना हिंसा है। सभी प्राणी को हम अपने समान समझे। जैन दर्शन में अहिंसा पर बहुत सूक्ष्मता से बल दिया गया। हिंसा के तीन प्रकार है- आरंभजा, संकल्पजा, विरोधजा। अनावश्यक हिंसा ना करें। निर्दोष प्राणी को ना मारे। जानबूझकर किसी भी प्राणी को न मारा जाए क्योंकि उससे भावों में क्रूरता आती है। भगवान महावीर ने हमें सूत्र दिया कि संसार के सभी प्राणी के प्रति मैत्री भावना रखनी चाहिए। संसार के सभी प्राणी को जीने का अधिकार है। अहिंसा मानव मात्र का धर्म है। हिंसा को मिटाना सब चाहते है,लेकिन अहिंसा के प्रशिक्षण के लिए केंद्र सरकार अथवा राज्य सरकार के पास कोई योजना तक नहीं है। आचार्य श्री महाश्रमणजी के नेतृत्व में अहिंसा का प्रशिक्षण, अहिंसा का अनुसंधान एवं उसके प्रयोग तीनों में व्यापक स्तर पर कार्य किया जा रहा है। हिंसा के मूल कारणों को मिटाएं बिना हिंसा की स्थापना संभव नहीं है। हिंसा के बीज मनुष्य के मस्तिष्क में है ।मस्तिष्क परिष्कार के प्रशिक्षण से ही हिंसा को जड़ से खत्म किया जा सकता है।

मुनि श्री कुमुद कुमार जी ने कहा- साधु एवं श्रावक का पहला व्रत अहिंसा होता है। अहिंसा के साथ कितने-कितने व्रत जुड़े हुए होते है।जहाँ हिंसा से बचने का भाव होता है, वहां करुणा अपने आप घटित हो जाती है। मन वचन एवं काया कि हिंसा से जितना बचा जाए उतना ही श्रावक धर्म की पालना सम्यक रूप से होती है। हमारे आचरण, व्यवहार एवं कार्य में पापात्मक प्रवृत्ति से बचना चाहिए। मनोरंजन द्वेष भाव से व्यक्ति कितने कितने हिंसात्मक कार्य कर लेता है। श्रावक जीवन में व्रतों का ग्रहण आत्मा को हलुकर्मी बना देता है।अहिंसक व्यक्ति अभय भाव में रहता है एवं कितने-कितने जीवों को अभय दान दे देता है। अहिंसा परमो धर्म जैन धर्म का एक प्रचलित नारा है।भगवान महावीर का सिद्धांत अहिंसा,अनेकांत एवं अपरिग्रह परिवार और समाज को अधिक सशक्त बनाने की प्रेरणा देता है। पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर लायंस क्लब के जी एस होरा ने कहा- भगवान महावीर ने अहिंसा पर जोर दिया। जैन धर्म में अहिंसा का विशेष पालन किया जाता है। आज विश्व में अहिंसा की जरुरत है। विश्व हिंसा की ओर बढ़ रहा है। किसी के प्रति द्वेष भावना रखना भी हिंसा है। गुरु ग्रंथ में कहा गया है कि सब कुदरत के बंदे है तो फिर किसके प्रति हम हिंसा करे। कार्यक्रम का शुभारंभ अणुव्रत गीत से हुआ। स्वागत भाषण अणुव्रत समिति अध्यक्षा श्रीमती डिम्पल बोथरा ने दिया। आभार मुकेश बैद ने व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन सुरेन्द्र घोडावत ने किया। अणुव्रत समिति द्वारा साहित्य एवं खादा पहना कर सम्मान किया गया।

Sunil Kumar Dhangadamajhi

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