मानवता के मसीहा थे आचार्य श्री तुलसी -मुनि प्रशांत
सिलीगुड़ी (वर्धमान जैन): मुनि श्री प्रशांत कुमार जी, मुनि श्री कुमुद कुमार जी के सान्निध्य में 30 वां विकास महोत्सव का आयोजन हुआ। जनसभा को संबोधित करते हुए मुनिश्री प्रशांत कुमार जी ने कहा – आचार्य श्री तुलसी ने अपने जीवन का प्रत्येक क्षण मानवता के कल्याण में व्यतीत किया। आचार्य श्री तुलसी का जीवन विकास का जीवन था। उन्होंने जागते हुए सपने देखें और उन्हें पूरा किया। जीवन में आने वाले कष्टों एवं बाधाओं को सूझबूझ से दूर किया तथा विकास के नए- नए कीर्तिमान स्थापित किए। वे न केवल तेरापंथ के विकास की बात सोचते थे अपितु समग्र जैन धर्म और मानवता के विकास के लिए कार्य करते थे। पंजाब समस्या को सुलझाने में राजीव- लोंगेवाल समझौता करवाने में और 1994 में देश की संसद में आए अभूतपूर्व गतिरोध को खत्म करवाने में रही उनकी भूमिका सर्वविदित है। उन्होंने राष्ट्र में चरित्रबल को मजबूत करने के उद्देश्य से अणुव्रत आंदोलन चलाया। प्रेक्षाध्यान की पद्धति और शिक्षा के क्षेत्र में जीवन विज्ञान जैसा सुवैज्ञानिक पाठ्यक्रम देश की जनता को दिया। अहिंसा की शक्ति से जनता को परिचित कराया। विसर्जन का सूत्र देकर लोगों में अनासक्त चेतना का निर्माण किया। राजनैतिक, सामाजिक, शैक्षणिक क्षेत्र में उनके द्वारा दिए अवदानों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने उन पर डाक टिकट जारी की। ” भारत ज्योति” और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार जैसे सम्मानों से उन्हें नवाजा गया।उनके द्वारा किए गए मानवतावादी कार्यो की एक लम्बी श्रृंखला है। आचार्य श्री तुलसी क्रांतिकारी विचारक थे। उनके चिंतन में विकास ही परिलक्षित होता था। विरोधों की परवाह न करते हुए अपनी शक्ति को सकारात्मक कार्यों में लगाए रखा।उनका कहना था कि व्यक्ति चाहे जिस धर्म को माने परन्तु सबसे पहले नैतिक मूल्यों को जीवन में अवश्य अपनाएं।
मुनि श्री कुमुद कुमार जी ने कहा – आचार्य श्री तुलसी की प्रज्ञा, समयज्ञता, दूरदर्शीता ने संघ में अनेकों नए आयाम स्थापित किए। उन्होंने मानव जाति के उत्थान के लिए लगभग एक लाख किलोमीटर की पदयात्रा कर दुनिया को शांति का संदेश दिया।विकास एवं विरोध दोनों ही आचार्य श्री तुलसी के साथ जुड़े रहे सम्मान एवं अलंकरण से प्रसन्नता नहीं तो विरोध से घबराए नहीं। संयम ग्रहण से लेकर जीवन के अंतिम पल तक कार्य करते रहे एवं जीवंत प्रेरणा संघ को देते रहे। अनुशास्ता न केवल दायित्व से थे अपितु स्वयं जीवन व्यवहार से बने रहे।शुभ भविष्य का चिंतन दिया संघ का,मानव जाति का। नारी जाति के उत्थान के लिए सतत जागरुकता से प्रयास किया जिसका परिणाम आज देख रहे हैं कि धर्मसंघ का महिला समाज देश के हर क्षेत्र में अपनी पहचान बनाकर अनेक मुकाम हासिल किए हैं।
कार्यक्रम का शुभारंभ प्रेमप्रकाश पांडे के मंगलाचरण से हुआ। सिलीगुड़ी सभा अध्यक्ष रुपचंद कोठारी ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। सिलीगुड़ी तेरापंथ युवक परिषद्,, तेरापंथ सभा,महिला मंडल अध्यक्षा संगीता घोषल, अणुव्रत समिति, टीपीएफ से सुरेन्द्र छाजेड़, महासभा आंचलिक प्रभारी मांगीलाल बोथरा, मुमुक्षु कीर्ति, इस्लामपुर सभा अध्यक्ष नरेंद्र बैद, दलखोला से सुजान सेठिया, फालाकाटा से कमल सेठिया, दीनहटा सभा अध्यक्ष माणकचन्द बैद, माथाभांगा सभा अध्यक्ष केसरी चन्द भादाणी, गंगटोक सभा अध्यक्ष मनीष जैन, दार्जिलिंग सभा अध्यक्ष मोतीलाल गधेया,सामुकतला सभा अध्यक्ष भंवरलाल तातेड, जलपाईगुड़ी सभा उपाध्यक्ष अशोक गोलछा ने गीत एवं व्यक्तव्य द्वारा गुरुदेव तुलसी के प्रति भावना व्यक्त की। आभार ज्ञापन सभा मंत्री मदन संचेती ने किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन मुनि श्री कुमुद कुमार जी एवं नरेन्द्र सिंघी ने किया। बाहर से समागत अतिथि का तेरापंथ सभा ने साहित्य एवं खादा पहना कर सम्मान किया।संघगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।