प्रितम बोकड़िया का मासखमण समारोह

धर्म के प्रति रहे श्रद्धा का भाव -मुनि प्रशांत

सिलीगुड़ी (वर्धमान जैन): मुनि श्री प्रशांत कुमार जी ,मुनि श्री कुमुद कुमार जी के सान्निध्य में प्रितम बोकड़िया का मासखमण तपाभिनंदन समारोह आयोजित हुआ। जनसभा को संबोधित करते हुए मुनि प्रशांत कुमार जी ने कहा – तपस्या का क्रम चल रहा है। देव, गुरु एवं धर्म का प्रभाव है।हम जो भी कर रहे है वो अरिहंत प्रभु की कृपा है। मेरा विश्वास है अरिहंत प्रभु के प्रति समर्पण हो गया। गहरी निष्ठा का भाव आ गया उसे कुछ भी कमी नहीं रहती है। धर्म की जो गंगा सिलीगुड़ी में बह रही है वह अरिहंत प्रभु एवं गुरुदेव की कृपा से ही हो रहा है। तपस्या के प्रति अनुमोदन के भाव आ रहे हैं तो ऐसे भाव आना ही विशेष बात है, शुभ लक्षण है। तप चौथे नंबर पर आता है। सबसे पहले श्रद्धा धर्म के प्रति, फिर अरिहंत प्रभु के प्रति उसके पश्चात् ज्ञान दर्शन चरित्र तप के प्रति आकर्षण होना चाहिए‌। श्रद्धा नींव होती है, उसके आधार में ज्ञान,दर्शन, चरित्र एवं तप होता है। इन चारों का विकास ही वास्तविक विकास होता है। शुद्ध आध्यात्मिक विकास का रास्ता भगवान ने बताया उस पर हमें आगे बढ़ना चाहिए।चातुर्मास में अनेक प्रकार की तपस्या होती है।सिलीगुड़ी में भी तपस्या का जोर चल रहा है। पांचवा मासखमण आज सम्पन्न हो रहा है‌। भाई प्रीतम बोकडिया ने युवावस्था में मासखमण तप कर अपने कर्मों की निर्जरा की है। परिवार में धर्म के गहरे संस्कार है। सेवाभावी परिवार है। उनके पिता दिलीप जी में भी धर्म के प्रति गहरी भावना है।साधु संतों की सेवा करते है।प्रितम की तपस्या के निमित्त से उनके चाचा पवन जी, भाई वरदान और बहन ने भी अट्ठाई का तपकर उनकी तपस्या में सहयोग दिया है। सभी धर्म के क्षेत्र में आगे बढते रहे। श्रीमती श्रीमती पूनम देवी कोठारी जागरुक श्राविका है। दिन में अनेक बार धर्म स्थान पर आना सामायिक करना, त्याग, तपस्या करना। साधु संतों की सेवा करने में उन्हें आनंद आता है।

मुनि श्री कुमुद कुमार जी ने कहा- इस बार पांच महीने का चातुर्मास का यह पांचवा मासखमण प्रीतम बोकडिया का संपूर्ण हो रहा है। आहार के प्रति व्यक्ति की मनोवृति रहती है। जन्म लेने से मरण तक व्यक्ति आहार करता रहता है। ऐसे में निराहार रहकर के तप करना अपने आप में कठिन होता है। जैन शासन में सैकड़ो साधु साध्वी ने विभिन्न प्रकार से तपस्या और साधना के द्वारा अपनी आत्मा का कल्याण किया।हजारों- हजारों साधकों ने कितने- कितने प्रकार के तप कर के धर्म संघ की प्रभावना की और अपने कर्मों के निर्जरा की। शांत स्वभाव, मधुरभाषी गुणों से सम्पन्न प्रितम बोकडिया नियमित सामायिक एवं संत दर्शन के साथ तपस्या पूर्ण की है।इसकी धर्म भावना के प्रति मंगलकामना करता हूँ।

साध्वी प्रमुखा विश्रुतविभाजी का संदेश वाचन सुरेन्द्र छाजेड, साध्वी राजीमती जी का संदेश वाचन हेमराज चौरडिया ने किया।दिलीप बोकडिया, सुरेश बोकडिया, किशन आंचलिया, प्रिती ललवानी, शशिकला बैद, बोकडिया परिवार, आंचलिया परिवार, वीणा सुराणा, कोठारी परिवार ने गीत एवं वक्तव्य के द्वारा तप अनुमोदना की। प्रितम बोकडिया का तेरापंथ सभा, तेरापंथ युवक परिषद्, तेरापंथ महिला मंडल, अणुव्रत समिति, टीपीएफ,तेरापंथ ट्रस्ट द्वारा सम्मान किया गया। श्रीमती पूनम कोठारी नौ, श्रीमान पवन बोकडिया नौ, श्रीमान वरदान बोकडिया आठ की तपस्या का सभा द्वारा साहित्य से सम्मान किया गया। कार्यक्रम का कुशल संचालन मुनि श्री कुमुद कुमार जी एवं सभा मंत्री मदन संचेती ने किया।

Sunil Kumar Dhangadamajhi

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