गीत से मिलती सुख शांति एवं निर्जरा -मुनि प्रशांत
सिलीगुड़ी (वर्धमान जैन): मुनि श्री प्रशांत कुमार जी, मुनि श्री कुमुद कुमार जी के सान्निध्य में अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मण्डल द्वारा आयोजित पुरानी ढालों का पुनरावर्तन प्रतियोगिता सिलीगुड़ी तेरापंथ महिला मंडल द्वारा आयोजित की गई।सभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री प्रशांत कुमार जी ने कहा- गीत मनोरंजन का ही साधन नहीं होता है इसके द्वारा सुख शांति और निर्जरा की प्राप्ति भी होती है। गीत गाते समय तन्मयता और एकाग्रता के साथ साथ श्रद्धा भाव भीतर से जुड जाए तो बहुत आंनद की अनुभूति होती है। कई बार श्लोक, स्तोत्र एवं गीत की रचना सलक्ष्य होती है तो अनेकों बार स्वत: ही भीतर के भाव से रचना का निर्माण हो जाता है। श्रीमद् जयाचार्य ने बीदासर में संकट के समय गीत का निर्माण किया। एकाग्र होकर भक्ति में डूब गए और संकट का निवारण हो गया। आज भी जयाचार्य द्वारा रचित इन गीतों के संगान से विघ्न दूर होता। गीत में भक्ति के साथ साथ मंत्रों का भी समावेश किया गया।तपस्वी आचार्य एवं साधु साध्वी का पुण्य स्मरण से बहुत कुछ प्राप्त हो जाता है। जम्बु स्वामी का प्राचीन गीत में उनके जीवन दर्शन के वर्णन के साथ वैराग्य भाव विकसित हो ऐसे शब्दों का समावेश किया गया। आचार्य जम्बु स्वामी, आचार्य श्री भिक्षु स्वामी और तपस्वी साधक संतों का जीवन हमें प्रेरणा देता है। इन गीतों को अवश्य याद करना चाहिए और प्रतिदिन इनका संगान करना चाहिए। कर्म निर्जरा के साथ साथ परिवार एवं जीवन में शांति सुकून एवं आनन्द रहता है। तेरापंथ महिला मंडल ने बहुत अच्छा प्रयास किया। अच्छा प्रसंसनीय कार्य है। इस प्रतियोगिता के माध्यम से गीत कंठस्थ होता है।
तेरापंथ महिला मंडल के मंगलाचरण से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। स्वागत भाषण महिला मंडल अध्यक्षा श्रीमती संगीता घोषल ने दिया।आभार श्रीमती मधु नौलखा ने किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन श्रीमती सुधा मालू एवं श्रीमती राजश्री कोठारी ने किया। श्रीमती सुमन बोथरा का सहयोग प्राप्त हुआ।