जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़
फूड विभाग की लापरवाही से दुकानदार की मौज
मानधाता (सुरेश यादव): जब से अरहर की दाल की कीमत मे जोरदार उछाल आया है तब से मिलावट खोरो की मौज आ गयी है, अरहर की दाल मे पच्चास रुपये प्रति किलो मिलने वाली चपरी की दाल और सत्तर रुपये प्रति किलो मिलने वाली मटर की दाल मिलावट कर धड़ल्ले से बेची जा रही है। जानकारो के मुताबिक चपरी की दाल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है विशेषज्ञो की माने तो लगातार चपरी की दाल इस्तेमाल करने से लकवाग्रस्त होने का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए सरकार ने इस पर रोक भी लगाई है। लेकिन मिलावट खोर चपरी की दाल का धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे है जानकारो के मुताबिक चपरी के दाल को पीसा कर बेसन मे भी मिलावट किया जा रहा है। चपरी के दाल के बेसन से बने खुली नमकीन बाजार मे बिक रही है। इसी तरह से सत्तर रुपये प्रति किलो मिलने वाली मटर की दाल भी अरहर की दाल मे मिलाकर बेची जा रही है। चपरी की दाल और मटर के छोटे दाने की दाल अरहर के दाल मे आसानी से मिल जाती है इसलिए जनता के लिए इसकी पहचान कर पाना मुश्किल है। दूसरी सबसे फर्जी बात यह है कि मिलावटी दाल होने के बावजूद दुकानदार ग्राहक से दावे के साथ कहता है शुद्धता की गारंटी है कोई मिलावट बताए तो लाकर फेक जाना बस यही फर्जी विश्वास दिलाने का तरीका यह मिलावटी दाल जमकर बिकने का कारण है, गांव मे तो लगभग हर दुकानदार बेच रहा है और शुध्द दाल बेचने का फर्जी दावा कर रहा है। जानकारो के मुताबिक मऊआइमा और कटरा, मोहनगंज, की मार्केट मे चपरी की दाल की भारी खपत है यही से गांव के दुकानदार लाकर बेच रहे है। फूड विभाग की लापरवाही से जनता को स्वास्थ्य से संबधी तमाम बीमारी का शिकार होना पड सकता है, गांव के लोगो को सतर्क और जागरूक रहने की जरुरत है।