मणिपुर में मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति श्रेणी में शामिल करने की मांग का विरोध करते हुए बुधवार को जनजातीय समूहों की ओर से बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया गया. कई जिलों में आदिवासी समूहों की ओर से रैलियां निकालने के बाद बिगड़ती कानून व्यवस्था की स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन ने राज्य में अगले पांच दिनों के लिए मोबाइल इंटरनेट को निलंबित कर दिया है.
गौरतलब है कि मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी में शामिल करने की मांग का विरोध करने के लिए छात्रों के एक संगठन द्वारा आहूत आदिवासी एकता मार्च में बुधवार को हजारों लोग शामिल हुए. संगठन ने राज्य के सभी दस पहाड़ी जिलों के लोगों से मार्च में शामिल होने का आह्वान किया था. ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर (एटीएसयूएम) ने कहा कि मैतेई समुदाय को एसटी श्रेणी में शामिल करने की मांग जोर पकड़ रही है, जिसके खिलाफ उसने मार्च आहूत किया है.
मैतेई की मांग का समर्थन कर रहे जनप्रतिनिधि-छात्र संगठन: छात्र संगठन ने कहा कि राज्य के जनप्रतिनिधि खुले तौर पर मैतेई की मांग का समर्थन कर रहे हैं और आदिवासी हितों की सामूहिक रूप से रक्षा करने के लिए उचित उपाय किए जाने की आवश्यकता है. गौरतलब है कि मैतेई मणिपुर के पहाड़ी जिलों में निवास करते हैं, जो राज्य के क्षेत्रफल का लगभग दस फीसदी है. समुदाय का दावा हैं कि म्यांमा और बांग्लादेश के बड़े पैमाने पर अवैध अप्रवासन के चलते उन्हें कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है.
हजारों की संख्या में शामिल हुए आदिवासी समुदाय के लोग: दूरदराज पहाड़ी क्षेत्रों के आदिवासी ग्रामीण मार्च में भाग लेने के लिए बसों और खुले ट्रकों में निकटतम पहाड़ी जिला मुख्यालय पहुंचे. पुलिस ने कहा कि आदिवासी समुदाय के हजारों लोग मार्च में शामिल हुए, जिन्होंने तख्तियां लहराईं और मैतेई समुदाय को एसटी दर्जे का विरोध जताते हुए नारेबाजी की.