मुस्कान इंटरनेशनल स्कूल में मुनिवर का प्रवास
कांटाबांजी (वर्धमान जैन): मुनिश्री प्रशांत कुमार जी ने मुस्कान इंटरनेशनल स्कूल में बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि जीवन मे सफल होने के लिए कुछ करना होता है। बच्चे कोरे कागज के तरह होते है, उन्हें जिस माहौल परिवेश में डाल जाता है, वे वैसे बन जाते है। बच्चे हमारे देश का समाज के भविष्य बनते है, इन्हें प्रारम्भ से ही सुसंस्कारी बनाया जाए। विद्यालय में विद्यार्थी ज्ञान अर्जन के साथ जीवन निर्माण के तरीके भी सीखें। जीवन मे आने वाली परिस्थितियों का सामना कैसे करें, कैसे हम अच्छे नागरिक बनें, किस प्रकार हमारे चरित्र का निर्माण हो, अपने आवेश एवं आवेग पर नियंत्रण कैसे रखें, ये ज्ञान भी बच्चों को देना जरूरी है।
विद्यालय शिक्षा का मंदिर है, इसकी गरिमा को बढ़ाये। क्रोध, लालच, भय और रोग को दूर कर बुद्धि, लज्जा, हिम्मत और आरोग्य से जीवन मे आगे बढ़े। अपने संस्कारों का पालन करें जिस से हम अपने परिवार एवं समाज का गौरव बढ़ा सकें। मुस्कान इंटरनेशनल स्कूल से प्राप्त शिक्षा से आपका जीवन आदर्श एवं प्रेरक बने। स्कूल के नाम की तरह आपके कार्यो की मुस्कान औरो के जीवन को महकाती रहे। विद्यालय के विद्यार्थियों में स्वागत गीत के द्वारा मुनिद्वय का अभिनंदन किया। श्रीमती कौशल्या देवी ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया। विद्यालय के संस्थापक ब्रजेश मित्तल ने कार्यक्रम का कुशल संचालन किया।