अनन्त शक्ति सम्पन्न है पेसंठिया यंत्र -मुनि प्रशांत
राउरकेला (वर्धमान जैन) : मुनि प्रशांत कुमारजी मुनि कुमुद कुमार जी के सानिध्य में पेसंठिया यंत्र महाअनुष्ठान का आयोजन तेरापंथ युवक परिषद के आयोजन मे हुआ। जनसभा को सम्बोधित करते हुए मुनि प्रशांत कुमार जी ने कहा- हमारा जीवन अनेक प्रकार के प्रभावों से प्रभावित होता है। वातावरण का प्रभाव, ग्रहनक्षत्र का प्रभाव, कर्मो का प्रभाव इन सब प्रभावो से अपने आप को सुरक्षित तभी रख सकते हैं जब अपनी आंतरिक शक्ति मजबूत बनें। अपनी सुरक्षा करने के साथ अपनी शक्ति को बढाने का प्रयास सतत करना चाहिए। अपनी शक्ति को बढाने के लिएजन एकधर्म में अनेक प्रयोग है – 4, जप, मंत्र, यंत्र एवं ध्यान – तप की अपनी शक्ति होती है। इनसे अपना विकास कर सकते हैं। कर्मो को क्षय करने के लिए कष्ट में समभाव रखना होता है।प्राचीन ग्रंथो में अनेक प्रकार के उपाय बताए है। मंत्र, यंत्र, एवं तंत्र के माध्यम से दूसरो का बुरा करने का भाव नहीं रखना चाहिए। अपने आध्यात्मिक विकास अपनी सुरक्षा के लिए मंत्र एवं यंत्र का उपयोग किया जा सकता है। पेसंठिया यंत्र छंद में चौबीस तीर्थकरों का समावेश है, ये चौबीस तीर्थकर अनन्त शक्तियों से परिपूर्ण है। देव-दानव मानव सभी के लिए पूजनीय हैं। पैंसठिया यंत्र छंद बहुत प्रभावशाली चमत्कारी है। दीपावली के दिन, रवि पुष्य नक्षत्र में, गुरुपुष्यामृत योग में एक सौ आठ बार जप कर सिद्ध कर लिया जाए तो नकारात्मक ऊर्जा दूर होती हैं। ग्रह दोष दूर होते हैं। तीर्थकरो के नाम का स्मरण करने से शक्ति का विकास होता है। कर्म क्षय होते हैं। हर समस्या का निवारण यंत्र की साधना से हो जाता है।
मुनि कुमुद कुमार जीने कहा- जीवन में कुछ पाना है तो परिश्रम करना होता है। आत्मा को परमात्मा बनाना है तो जप, तप, ध्यान की साधना से शरीर को माध्यम बनाकर आत्मा को तपाना है। जैन आगम में ज्ञान का भण्डार भरा है। मंत्र शास्त्र, ध्यान की प्रक्रिया ज्योतिष विज्ञान की जानकारी जैन शास्त्रों में विस्तार से दिया गया है। मंत्र-यंत्र की आराधना करते हुए तप का योग मिल जाए तो वह साधना शीघ्र सिद्ध होती है। जिसकी चेतना भीतर से जुड जाती है वह परम आनन्द को प्राप्त करता है। मंत्र, तंत्र, यंत्र एवं ध्यान – तप की साधना में श्रद्धा का जुडाव होना जरूरी है।